पिछले दिनों स्थानीय पार्षद देवाशीष मुखर्जी ने घटना के बारे में निगम को जानकारी दी थी। इसके बाद शुक्रवार को कोलकाता नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की एक टीम प्रभावित इलाक ों में पहुंची। उन्होंने पीडि़तों के घरों में जाकर पेयजल के नमूनों का संग्रह किया। साथ ही प्रभावित लोगों के स्वास्थ्य का परिक्षण भी किया। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार नमूने जांच के लिए लैबोरेटरी में भेज दिए गए हैं। रिर्पोट आते ही पीलिया के फैलने के कारण का पता चलेगा। कारण पता नहीं चलने तक स्थानीय लोगों को सचेत रहने के लिए कहा गया है। साथ ही उन्हें महत्तवपूर्ण दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि ग्रीष्मकाल की शुरूआत में ही इलाके में फैले इस कहर की वजह से स्थानीय लोगों में काफी आतंक देखने को मिल रहा है। ज्यादातर लोगों का आरोप है कि लंबे समय से इलाके में जल संबधित विभिन्न पेरशानियों के रहने के बावजूद निगम की ओर से कोई खास कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
– जादवपुर अंचल में हर साल फैलती है इस तरह की बीमारियां :-
गौरतलब है कि यह पहली मर्तबा नहीं है कि जादवपुर अंचल में पेयजल से बीमारी फैलने का प्रकोप देखने को मिला है। इससे पूर्व पिछले वर्ष भी जादवपुर अंचल के वार्ड नम्बर 102,103, 97 व संलग्न इलाकों में दूषित पेयजल की वजह से हजारों निवासी डायरिया की चपेट में आ गए थे। आलम यह था कि प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों के साथ ही अस्पतालों में भी लंबी-लंबी कतारें लग गई थी। हालांकि अब तक वार्ड नम्बर ९९ में यह स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है, लेकिन स्थानीय लोगों व पार्षद का दावा है कि अभी भी निगम ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, तो यह महामारी के रूप में फैल सकती है।
– पेयजल के लिए कई माध्यमों पर रहना पड़ता है निर्भर :
यूं तो पीलिया संक्रमण के फैलने के कई कारण है, लेकिन मूलत: यह दूषित जल व दूषित खाद्य पदार्थों से फैलता है। ऐसे में सवाल उठता है कि सालों से जलसंकट की परेशानी से जूझ रहे इस इलाके में पेयजलापूॢत कैसे होती है? मिली जानकारी के अनुसार उक्त इलाकों में पेयजलापूर्ति का कोई एक साधन नहीं है बल्कि यहां के लोग निगम के सप्लाई वॉटर के साथ ही चापाकल, डिब्बा पानी और वॉटर एटीएम पर निर्भर रहते हैं। कुछ इलाकों में निगम सीधे गार्डेनरीच वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से जलापूर्ति करता है, तो कई इलाकों में चापाकल और गार्डेनरीच वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के पेयजल को मिश्रितकर सप्लाई किया जाता है। वहीं ज्यादातर लोग केवल डिब्बा बंद पानी ही खरीद कर पीते हैं। अब सवाल यह उठता है कि संक्रमण किस पानी से फैला रहा है?
– उपमेयर ने नहीं ली खोज-खबर :
वार्ड नंबर 99 के पार्षद देवशीष मुखर्जी का कहना है कि घटना के बारे में २९ मई को मैंने लिखित रूप से निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सूचित किया था। रोग के भयावह रूप लेने का अंदेशा भी व्यक्त किया था, लेकिन अब तक उपमेयर अतिन घोष ने इस बारे में मुझसे कोई बात नहीं की। भले ही वे उपमेयर हैं लेकिन ,साथ ही स्वास्थ्य विभाग भी संभालते हैं। यह उनका दायित्तव है। पार्षद होने के नाते मैं स्थानीय लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास में जुटा हुआ है। निगम को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।
– जांच से बच रहा है निगम :-
वार्ड नंबर 98 के पार्षद मृत्यूंजय चक्रवर्ती का कहना है कि जादवपुर अंचल हर वर्ष गर्मी में इस तरह के रोगों से प्रभावित होता है। निगम को इसके मूल कारण का पता लगाना चाहिए। इसके लिए पेयजल के नमूने को संग्रह कर सही जांच कराने की जरुरत है, लेकिन निगम की ओर से इस तरह का कोई प्रयास नहीं देखने को मिल रहा है। फिलहाल हमारे वार्ड में तो यह समस्या नहीं है, लेकिन हमनें फिर भी लोगों को सचेत करना शुरू कर दिया है।
– पड़ोस की घटना से सहमे हैं लोग :
वार्ड नंबर 102 की पार्षद रिंकु नस्कर ने बताया कि गत वर्ष हमारे वार्ड में भी डायरिया संक्रमण से लगभग हजारों लोग प्रभावित हुए थे। पड़ोसी वार्ड की यह हाल देखकर स्थानीय लोग सहमे हुए हैं। उनसे आतंकित न होकर पेयजल को गरम करके पीने तथा ज्यादा से ज्याद मौसमी फलों को खाने को कहा जा रहा है। साथ ही प्रभावितों से दूरी बनाए रखने का भी सलाह दिया जा रहा है।