कोलकाताPublished: Sep 25, 2020 04:42:17 pm
Manoj Singh
मालदह जिला सहित बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में हो रही मवेशी तस्करी के अंतरराष्ट्रीय रैकेट से जुड़े लोगों का पता लगाने के लिए सीबीआई बुधवार से राज्य भर में जांच-पड़ताल कर रही है। इस क्रम में केन्द्रीय जांच एजेंसी को पता चला है कि इस रैकेट के तार आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं और गाय तस्करी के पैसा आतंकवादी संगठनों को जा रहा है। छोटे तस्करों की तलाश में आई सीबीआई को हाथ लगे बड़े सबूत गायों को बछड़े बता कर की जाती रही नीलामी, प्रत्येक गाय पर बीएसएफ अधि
Terrorist connected with cow smuggling: गायों की तस्करी के पैसे से बंगाल में ‘जिहादियों’ की मदद
बंगाल में गायों की तस्करी के पैसे से ‘जिहादियों’ की मदद
छोटे तस्करों की तलाश में आई सीबीआई को हाथ लगे बड़े सबूत
गायों को बछड़े बता कर की जाती रही नीलामी, प्रत्येक गाय पर बीएसएफ अधिकारी को मिलता था दो हजार
कोलकाता
मालदह जिला सहित बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में हो रही मवेशी तस्करी के अंतरराष्ट्रीय रैकेट से जुड़े लोगों का पता लगाने के लिए सीबीआई बुधवार से राज्य भर में जांच-पड़ताल कर रही है। इस क्रम में केन्द्रीय जांच एजेंसी को पता चला है कि इस रैकेट के तार आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं और गाय तस्करी के पैसा आतंकवादी संगठनों को जा रहा है।
सीबीआई पश्चिम बंगाल में गायों की तस्करी की जांच वर्ष 2018 में शुरू की थी। तब बीएसएफ कमांडेंट सतीश कुमार का नाम आया था। सूत्रों ने बताया इख सीबीआई की टीम उक्त मामले में छोटे-मोटे तस्करों की तलाश में आई थी, लेकिन उसके हाथ गाय तस्करी करने वाले बड़े रैकेट के लोग हाथ लग गए। पता चला है कि गायों की तस्करों में बीएसएफ अधिकारियों व जवानों के लिप्त होने केअलावा इससे आतंकवादी संगठनों के तार जुड़े होने की नई बात सामने आई है। बांग्लादेश गायों की तस्करी करने के बदल में उस पार से कटिले तार के बेड़ा के ऊपर से हथियार के जखिरे आते हैं, जो सीधे जिहादियों के हाथों में चला जाते हैं। इसके अलावा हवाला या हुंडी का कारोबार जोरों पर चल रहा है। पड़ताल के दौरान सीबीआई को इससे संबंधित सबूत भी मिले हैं।
उल्लेखनयी है कि सीबीआई ने बुधवार सुबह से ही कोलकाता के राजारहाट, साल्ट लेक और तापसिया में छापेमारी कर रही है। इसके अलावा इसने मुर्शिदाबाद के बहरामपुर, लालगोला और सिलीगुड़ी सहित विभिन्न जगहों को खंखाला है। साल्ट लेक में सिटी सेंटर टू के पास बीएसएफ कमांडेंट सतीश कुमार के घर की भी तलाशी लेने के बाद सील कर दिया गया है। वर्तमान में बीएसएफ का उक्त कमांडेंट कर्नाटक में कार्यरत है।
सूत्रों के मुताबिक मालदह में तैनाती के दौरान सतीश कुमार ने पशु तस्करी में कई तरह से मदद की। उसके घर से कई दस्तावेज पहले ही एकत्र किए जा चुके हैं। जांचकर्ताओं को उम्मीद है कि उक्त दस्तावेज जांच को नई दिशा दिखाने में सक्षम होगा। सीबीआई की एफआईआर में चौंकाने वाली सभी जानकारियां हैं। जांच से पता चला है कि एनामुल हक, अनारुल शेख और गुलाम मुस्तफा मालदा और मुर्शिदाबाद के स्थानीय व्यापारी बीएसएफ और सीमा शुल्क के साथ मिले हुए थे। जांच में एक बीएसएफ और एक सीमा शुल्क अधिकारी के नाम भी सामने आए हैं।
गायों को बछड़े बता कर होती थी नीलामी
आंकड़ों के अनुसार 2015 और 2016 के बीच बीएसएफ ने सीमा पर लगभग 20,000 मवेशियों को जब्त कर लिया था। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि बीएसएफ की रिपोर्ट में बांग्लादेश में गायों की तस्करी करने वाले मालदह और मुर्शिदाबाद जिले के तस्करों के उल्लेख नहीं होता था। इसके अलावा खाता कलम पर गायों को बछड़े बना दिए जाते थे। इससे नीलामी में गायों की कीमत कम हो जाती थी और सरकार को भारी राजस्व की हानि होती थी।
प्रत्येक गाय पर बीएसएफ अधिकारी को मिलता था दो हजार
सूत्रों ने बताया कि अब तक की जांच से सीबीआई को पता चला है कि प्रत्येक गाय की तस्करी के लिए बीएसएफ के अधिकारी को दो हजार और कस्टम अधिकारी को 500 रुपए मिलते थे। इसके अलावा गायों की नीलामी में फेराफेरी से बचने वाली धनराशि का 10 प्रतिशत हिस्सा बीएसएफ और कस्टम अधिकारियों को दिया जाता था।