बांग्लादेश में कट्टर शरिया शासन के उद्द्ेश्य से तैयार किए आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन (जेएमबी) का गठन वर्ष 1998 में किया गया था। संगठन की गतिविधियों का खुलासा वर्ष 2001 में बांग्लादेश में जब्त किए गए विस्फोटकों व दस्तावेजों से शुरु हुआ। बांग्लादेश सरकार ने वर्ष 2005 की फरवरी में संगठन को प्रतिबंधित करते हुए आतंकी संगठन घोषित कर दिया। इसी साल के अगस्त में संगठन ने अपनी ताकत दिखाते हुए एक साथ एक दिन आधे घंटे के भीतर बांग्लादेश के कुल 64 जिलों में से 63 के 3 सौ ठिकानों पर 5 सौ बम विस्फोट किए। हालांकि विस्फोटों की तीव्रता कम थी। इसके बाद बांग्लादेश ने संगठन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की। आतंकी संगठन के कई दुर्दांत आतंकी पकड़े गए। मार दिए गए।
बांग्लादेश में आतंकी संगठन पर कड़ाई के बाद जेएमबी के आतंकी बंगाल में आने लगे। बंगाल को आतंकी संगठन ने अपनी ६५ वीं यूनिट घोषित किया। मदरसों और जिहादी तत्वों की फंडिंग कर आतंकी तैयार किए। विस्फोटक तैयार करने के सरंजाम जुटाए। विस्फोटकों को बांग्लादेश भेजा जाने लगा। जेएमबी ने मुर्शिदाबाद, मालदह, नदिया व बर्दवान जिलों को अपने निशाने पर लिया। यहां गतिविधियां बढ़ाईं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक आतंकी संगठन ने तेजी से देश भर में माड्यूल तैयार किए। एक समय संगठन के माड्यूल की संख्या 50 तक पहुंच गई थी।
जमात-उल-मुजाहिदीन (जेएमबी) के 19 आतंकियों को बंगाल की अदालत ने शुक्रवार को विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास से लेकर दस साल तक की सजा सुनाई है। 2 अक्टूबर, 2014 को बर्दवान जिले के खागड़ागढ़ में अत्याधुनिक विस्फोट तैयार करते समय हुए धमाके में दो लोग मारे गए थे। इसके बाद जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने जांच शुरू की तो पता चला कि बंगाल में बांग्लादेश के आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन (जेएमबी) सक्रिय है। एनआइए की जांच में सामने आया था कि आतंकियों ने खागड़ागड़ में बुर्का बनाने के नाम पर किराये का मकान लिया था और उसी की आड़ में वे लोग विस्फोटक तैयार करते थे।