कन्हैया ने कहा कि जब-जब देश के समक्ष संकट उत्पन्न हुआ है, तब-तब बंगाल ने ही नेतृत्व दिया है। बंग-भंग आंदोलन में भी बंगाल ने नेतृत्व दिया था। देश आजाद होने के वक्त नोआखाली में भडक़ी हिन्दू-मुस्लिम दंगे से दुखी होकर महात्मा गांधी को कोलकाता के बेलियाघाटा में अनशन करना पड़ा था। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बंगाल को एकबार फिर अग्रणी भूमिका लेने का समय है। भाजपा पर प्रहार करते हुए कन्हैया ने कहा कि पीएम मोदी अपने घिसे पीटे जुमले से लोगों को गुमराह कर रहे हैं। जो बात लोगों को आधार बनाने के वक्त कही गई थी वही बात एनपीआर के लिए कही जा रही है। राष्ट्रीय नागरिकता पंजी(एनआरसी) का प्रथम चरण नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर) ही है।
साल्टलेक स्थित विद्युत भवन ऑडिटोरियम में गुरुवार को आयोजित सभा में कन्हैया ने कहा कि अंग्रजों के खिलाफ आंदोलन (सिपाही विद्रोह) की आग सबसे पहले सेना के बैरेकों से भडक़ी थी। मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन आंदोलन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के कैम्पसों से शुरू हुई है। सीएए-एनआरसी और एनपीआर के मुद्दे पर सरकार फंस चुकी है। केंद्र सरकार रूपी चूहे को चूहेदानी में फंसाने का काम बंगाल के लोगों ने किया है। कन्हैया ने नोटबंदी और पुलवामा जैसी घटनाओं पर मोदी सरकार पर जमकर तंज कसा है।