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जयनगर लोकसभा केंद्र् : क्या फिर जीत दोहराएंगी तृणमूल की प्रतिमा ?

locationकोलकाताPublished: May 18, 2019 04:16:26 pm

Submitted by:

Jyoti Dubey

– टीएमसी-आरएसपी के बीच है कांटे की टक्कर, भाजपा भी ठोंक रही है ताल- आखिरी चरण के मतदान में होगा फैसला

Kolkata, Kolkata, West Bengal, India

जयनगर लोकसभा केंद्र् : क्या फिर जीत दोहराएंगी तृणमूल की प्रतिमा ?

कोलकाता. लोकसभा चुनाव के 7वें व आखिरी चरण में जयनगर लोकसभा सीट पर आगामी 19 मई को वोट डाले जाएंगे। इस दिन कुल 16,45,203 मतदाता अपने मतदान का प्रयोग कर उम्मीदवारों के राजनैतिक भाविष्य का फैसला करेंगे। दक्षिण 24 परगना जिले के अंतर्गत आने वाली यह सीट वर्ष 1962 में अस्तित्व में आई है। तब कांग्रेस के परेश नाथ कोयाल पहले सांसद बने थे। वर्ष
1980 से लेकर 2009 तक इस सीट से रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी(आरएसपी) का वर्चस्व रहने के कारण इसे उसका गढ़ भी कहा जाता है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिमा मंडल ने यहां से 4,94,746 वोट हासिल कर अपना परचम लहराया। 2014 में उनकी जीत को देखते हुए 2019 में भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन पर ही भरोसा जताया है और एक बार फिर उन्हें इस सीट से उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया है। जबकि वामपंथियों ने पिछली बार उनसे शिकस्त पाए आरएसपी नेता सुभाष नस्कर को एक बार फिर वहां से मौका दिया है। वहीं भाजपा से अशोक कंडारी और कांग्रेस से तपन मंडल खड़े हैं।

– जयनगर का राजनैतिक इतिहास :-

1962 में यहां से कांग्रेस के परेश नाथ कायल ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1967 के चुनाव में सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (एसयूसीआई) के उम्मीदवार चिट्टा राय ने जीत हासिल की। 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की और शक्ति कुमार इस सीट से सांसद चुने गए। 1977 में हुए चुनाव में शक्ति कुमार ने भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद 1980 से लेकर 2009 तक इस सीट पर रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी का कब्जा रहा। सनत कुमार मंडल ने 29 वर्षों तक लगातार सांसद के तौर पर इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। 2014 के चुनाव में पहली बार ममता लहर में यहां टीएमसी का डंका बजा और प्रतिमा मंडल यहां से सांसद चुनी गईं।

– विधानसभा सीटें और मुद्दे :-

इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 7 विधानसभा सीटें गोसाबा, बासंती, कुलतली, जयनगर, कैनिंग पश्चिम, कैनिंग पूर्व और मगराहटा विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनमें से पांच सुरक्षित सीटें हैं। अल्पसंख्यकों का विकास यहां एक बड़ा मसला है। राजनीतिक दल इसी को लेकर दावे-वादे कर मतदाताओं का वोट हासिल करते आए हैं। नारी तस्करी भी इस संसदीय क्षेत्र का एक गंभीर मसला रहा है। इसके अलावा सुंदरवन का ज्यदातर हिस्सा यहां पडऩे की वजह से मछुआरों की संख्या यहां अधिक है और उनसे जुड़े मसले भी एक अहम मुद्दा है।
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