सन 193५ कानून की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए। जहां भारतीयों के संगठन लंदन मजलिस के पहले सचिव बने। 1940 में भारत लौटे, कम्युनिष्ट आंदोलन से पूरी तरह जुड़ गए। बसु कोलकाता में सोवियत संघ के मित्र और एंटी-फासिस्ट राइटर्स एसोसिएशन के सचिव बने। 1944 से ट्रेड यूनियन फ्रंट में उनकी पारी शुरू हुई। ज्योति बाबू 1946 में रेलवे श्रमिक निर्वाचन क्षेत्र से बंगाल प्रांतीय असेंबली के लिए निर्वाचित हुए। सन1952 में बरानगर से विधानसभा के लिए चुने गए थे। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। सन1957, 1962, 1967, 1969, 1971, 1977, 1982, 1987, 1991 और 1996 में विधानसभा के सदस्य रहे। 1957 से 1967 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। 1967 में बनी वाम मोर्चे के प्रभुत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार में ज्योति बसु को गृहमंत्री बनाया गया लेकिन नक्सलवादी आंदोलन के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और वह सरकार गिर गई। 21 जून 1977 को पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने। स्वास्थ्य कारणों से छह नवंबर 2000 को मुख्यमंत्री पद छोड़ा। उन्होंने लगातार 23 साल तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में काम कर राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया।