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30 साल से आज तक नहीं बजाया हॉर्न

locationकोलकाताPublished: Apr 22, 2019 04:49:32 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

‘नो हॉर्न’ के लिए तय किया 2.5 लाख किमी का सफर—-मिशन ऑफ हॉन्क फ्री इंडिया मुहिम में जुटे प्रवासी राजस्थानी कैलाश मोहता—-कहा, मरते दम तक नहीं बजाएंगे हॉर्न—18 देशों का दौरा—-पत्रिका एक्सक्लूसिव

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30 साल से आज तक नहीं बजाया हॉर्न

कोलकाता (शिशिर शरण राही). पिछले 30 साल से आज तक ड्राइविंग के दौरान हॉर्न नहीं बजाने वाले प्रवासी राजस्थानी कैलाश मोहता ने देश की सडक़ों को हॉर्न फ्री करने का फैसला किया है। इसके लिए गत 29 साल से वे लगातार इस दिशा में जी-जान से जुटे हैं। देश को ध्वनि प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बीकानेर के नापासर के सिंथल गांव के मूल निवासी कैलाश के सिर पर ‘नो हॉर्न’ का जुनून इस कदर हावी है कि उन्होंने इसके लिए 2.5 लाख किमी का सफर तक पूरा कर डाला। उन्होंने अपनी कार और बाइक से हॉर्न भी हटा रखा है। पत्रिका के साथ खास भेंट में कैलाश ने कहा कि मरते दम तक वे हॉर्न का इस्तेमाल नहीं करेंगे। देश की सडक़ों को हॉर्न फ्री बनाने की अपनी मुहिम मिशन ऑफ हॉन्क फ्री इंडिया में जुटे कैलाश ने पत्रिका के सवालों के जवाब में कहा कि उनका ख्वाब ध्वनि प्रदूषण मुक्त भारत बनाने का है। पिछले १८ साल में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली आदि प्रदेशों सहित पूरे भारत में करीब २.५ लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुके कैलाश जहां भी जाते हैं, अपनी पीठ पर नो हॉर्न लिखे हुए पोस्टर लेकर जाते हैं ताकि वाहन चलाने वाला हर चालक इसे पढ़ सके।
— हॉर्न एक जरूरत, न बनाएं आदत

कैलाश ने कहा कि उनकी मुहिम का सबसे अहम वाक्य है—बिना कारण हॉर्न नहीं बजाएं, हॉन्किंग हर्ट्स चिल्ड्रेन और एवॉयड् हॉन्किंग…है। उनका कहना है कि हॉर्न एक जरूरत है, इसे आदत नहीं बनाएं। कैलाश एक हाथ से बिना गियर की कार चलाते हुए दूसरे हाथ में नो हॉर्न की तख्ती लेकर भी चलते हैं। कोलकाता में भारी मशीनरी पार्ट्स के व्यवसायी कैलाश को कोलकाता पुलिस ने नो हॉन्किंग अवार्ड से सम्मानित भी किया है। कैलाश की एक और खासियत यह है कि वे खुद के व्यवसाय के साथ-साथ कोलकाता की ट्रैफिक पुलिस के लिए बतौर सहायक के रूप में निस्वार्थ सेवा भी देते हैं।
—–कोलकाता है हॉन्किंग कैपिटल

कैलाश ने बताया कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा पूरी दुनिया में किसी भी देश में हॉर्न नहीं बजता। कोलकाता को उन्होंने हॉन्किंग कैपिटल करार देते हुए कहा कि यहां के नागरिकों में सिविक सेंस की कमी है। यहां पहले लोग हॉर्न का प्रयोग करेंगे फिर ब्रेक का। सभी यूरोपीय देशों में भी हॉर्न का इस्तेमाल नहीं के बराबर होता है। —–कार-बाइक से ड्राइव के समय भी देते हैं मैसेज कैलाश जब बाइक चलाते है तो अपनी पीठ-छाती पर नो हॉर्न का बैनर और कार चलाते समय एक हाथ में नो हॉर्न का बोर्ड लेकर चलते हैं। 10 जनवरी, 2017 को उन्होंने पोस्टर पहनकर सबसे पहले लोगों को जागरूक करने की इसकी शुरुआत की थी। शादी-समारोह में शिरकत करने के दौरान भी वे अपनी पीठ पर नो हॉर्न का बैनर लेकर जाते हैं। कोलकाता के सेंट जेवियर से 1987 में बीकॉम (ऑनर्स) करने के बाद कैलाश अमेरिका में रोजगार की तलाश और बिजनेस ट्रेनिंग के लिए गए थे। अमेरिका प्रवास के दौरान ओहियो में उन्होंने एक भी अमेरिकी को गाड़ी चलाते समय हॉर्न का इस्तेमाल नहीं करते देखा। इस दृश्य का उनके दिलो-दिमाग पर इतना गहरा असर हुआ कि १ साल बाद जब भारत लौटे तो ड्राइविंग के दौरान हॉर्न बजाना बंद कर दिया और कोलकाता में लोगों को जागरूक किया। 10 जनवरी, 2007 को कैलाश ने पहले दिन हॉर्न बजाने से रोकने के लिए संदेश के साथ पोस्टर पहनकर कोलकाता में अपने इस अभियान का आगाज किया। ब्रिटेन, जापान, चीन, सिंगापुर, बर्सीलोना, दुबई, फ्रांस, हंगरी और श्रीलंका सहित 18 देशों का दौरा किया। २०१७ में मलेशिया दौरे पर गए, तो वहां भी कोई हॉर्न बजाते नहीं मिला। कोलकाता के ट्रैफिक पुलिसकर्मी उन्हें उनके इस अभियान के लिए सैल्यूट करते हैं, जबकि युवा, बच्चे और बड़े-बुजुर्ग कहते हैं—माइंड ब्लोइंग मैसेज! —-सीएम-पीएम तक पहुंचा चुके हैं मैसेज२८ दिसंबर, २०१७ को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने उनके निवास पर वे सेफ ड्राइव-सेव लाइफ अभियान के तहत गए थे। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले साल उन्होंने कई बार ट्वीट कर स्वच्छ भारत मिशन की तरह देशभर में ध्वनि प्रदूषण मुक्त भारत अभियान चलाने का आग्रह किया था। अब कैलाश का मुख्य लक्ष्य कोलकाता को हॉर्न न बजाने के लिए जागरूक करना है। व्हाट्स एप साइलेंट क्रूसेड फाउंडेशन ग्रुप, फेसबुक पेज के साथ वेबसाइट भी बनाया है, जिससे काफी संख्या में लोग जुडे हुए हैं। वे स्कूलों-कॉलेजों में भी जागरूकता अभियान चला रहे हंै। —-कोलकाता पुलिस ने दिया मानूस सम्मान कोलकाता पुलिस की ओर से इसी साल ३ फरवरी को मानूस मेला क्लब के एक कार्यक्रम में कैलाश को मानूस सम्मान से नवाजा गया था। कोलकाता के मॉर्डन हाई स्कूल फॉर गल्र्स की ओर से भी इसी साल 2 फरवरी को उन्हें प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया था। —-ये है उनकी मांगउनकी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 5 स्थानों हॉस्पिटल/नर्सिंग होम, स्कूल/कॉलेज, ट्रैफिक सिग्नल, ट्रैफिक जाम और रेसिडेंशियल एरिया में हॉर्न के प्रयोग पर कानूनी प्रतिबंध का सख्ती से पालन हो। पेनॉल्टी राशि अभी बहुत कम है, जिसे बढ़ाया जाए। —ये है नुकसानबहरापन, अनिद्रा, डिप्रेसन, मानसिक तनाव, दिल के रोग, स्ट्रोक आदि।
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