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आर्थिक तंगी से बीच में पढ़ाई छूटी, अब युवतियों को कराटे के गुर सीखा रहा कैलाश

locationकोलकाताPublished: Jan 22, 2019 10:16:34 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

100 से ज्यादा स्कूलों में युवक-युवतियों को आत्मरक्षा के लिए कर रहा तैयार जलपाईगुड़ी का कराटे प्रशिक्षक

kolkata

आर्थिक तंगी से बीच में पढ़ाई छूटी, अब युवतियों को कराटे के गुर सीखा रहा कैलाश

कोलकाता/जलपाईगुड़ी. आर्थिक तंगी के कारण बीच में ही पढ़ाई छूटने के बावजूद जोश, जज्बा और जुनून दिखाते हुए जलपाईगुड़ी के कराटे प्रशिक्षक कैलाश बर्मन ने समाज सुधार क्षेत्र में एक कदम आगे बढक़र छात्र-छात्राओं को कराटे में दक्ष करने का बीड़ा उठाया। आज वह 100 से ज्यादा स्कूलों और विभिन्न संस्थाओं/संगठनों में युवक-युवतियों को कराटे सिखाकर आत्मरक्षा के लिए तैयार करने में सक्रिय रूप से जुटा हुआ है। आर्थिक तंगी के कारण बीच में ही कैलाश की पढ़ाई छूटी जबकि मां दिहाड़ी मजदूरी करती थी, इसलिए वह अपने मामा के घर पर रहकर पढ़ाई करता था। आर्थिक तंगी के कारण कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोडक़र उसने एक निजी कंपनी की नौकरी ज्वाइन की। इसके बाद भी उसका समाज सेवा का संकल्प कम नहीं हुआ तो उसने छात्र-छात्राओं को कराटे सीखाने का बीड़ा उठा लिया। इसके पीछे कैलाश का मकसद युवतियों को स्वावलंबी बनाकर आए दिन होने वाले दुष्कर्म-छेड़छाड़ जैसी गंदगी को जड़ से मिटाना था। बचपन से ही कराटे में पारंगत कैलाश ने इसे समाज-देश सेवा के लिए कुछ करने का जरिया बना लिया। वर्तमान में द्वितीय स्तर के ब्लैक बेल्ट के साथ ही राष्ट्रीय स्तर के निणायक मंडली में शामिल कैलाश ने बताया कि गरीबी से जूझकर जिंदगी से जद्दोजहद करते हुए उसने दुष्कर्ममुक्त समाज के गठन का सपना देखा। उसने कहा कि कई बार रात के अंधेरे में उसपर हमले भी हुए और अनेक दफा उसे जान से मारने की धमकी भी मिली। इन सब को दरकिनार करते हुए उसने बिना किसी डर के छात्र-छात्राओं को कराटे की गुर बताने का काम जारी रखा। कैलाश की इच्छा जापान जाकर अंतिम प्रशिक्षण लेना है, जिससे वह जापानी तकनीक भी युवाओं-बच्चों को सीखा सके लेकिन आर्थिक तंगी इस रास्ते में एक बड़ी बाधा है। जिला प्रमुख संरक्षक डॉ. कृष्ण देव ने बताया कि यह हर्ष का विषय है कि अब कराटे को अंतरराष्ट्रीय खेल में शामिल किया गया है। इसी तरह राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में भी कराटे को शामिल करना चाहिए। देव ने बताया कि हालांकि बंगाल सरकार की ओर से ९वीं क्लास की छात्राओं को आत्मरक्षा के कौशल के तौर पर कराटे सिखाया जाता है, लेकिन इसे सभी क्लास में शामिल करना चाहिए। उन्होंने कैलाश को जलपाईगुड़ी का गौरव बताते हुए कहा कि निर्धनता के साथ संघर्षपूर्ण जीवन गुजारते हुए भी उसने समाज सेवा में खुद को समर्पित किया जो सभी के लिए प्रेरणादायक है।

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