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कोलकाता

दक्षिणेश्वर में कल्पतरु उत्सव की धूम

अंग्रेजी नव वर्ष पर एक तरफ जहां लोग विक्टोरिया, चिडिय़ाखाना, निक्को पार्क , इको पार्क और साइंस सिटी में जुटे रहे

कोलकाताJan 02, 2018 / 07:03 pm

Rabindra Rai

kolkata west bengal
कोलकाता. अंग्रेजी नव वर्ष पर एक तरफ जहां लोग विक्टोरिया, चिडिय़ाखाना, निक्को पार्क , इको पार्क और साइंस सिटी में जुटे रहे वहीं दूसरी ओर कल्पतरु उत्सव पर भारी संख्या में लोगों की भीड़ दक्षिणेश्वर मंदिर और काशीपुर के उद्यानबाटी में भी रही। साल के प्रथम दिन यहां हर साल जनसमागम होता है। तीन दिवसीय उत्सव के प्रथम दिन सोमवार को सुबह से ही पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। मंदिर के सूत्रों ने बताया कि कल्पतरु उत्सव को देखते हुए मंदिर का कपाट तड़के ४ बजे भगवान के दर्शन के लिए खोल दिया गया था। पूजा से पहले भक्त गंगा में स्नान कर मां भवतारिणी का दर्शन के लिए कतार में लग गए थे।
सुरक्षा के व्यापक प्रबंध-
भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर व उसके आसपास के इलाके में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे। सूत्रों ने बताया कि प्रशासन की ओर से सुरक्षा की त्रिस्तरीय व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा की निगरानी बैरकपुर पुलिस कमिश्नरेट पर थी। दक्षिणेश्वर मंदिर के निकट के घाटों पर भी तटीय सुरक्षा बल के जवान तैनात रहे।
यह है मान्यता-
ऐसी मान्यता है कि ठाकुर रामकृष्ण परमहंस ने वर्ष १८८६ के एक जनवरी को अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए कल्पतरु का रूप धारण किए थे। गले में कैंसर से पीडि़त रामकृष्ण लंबे समय बाद इसी दिन काशीपुर स्थित उद्यान बाटी में अपने भक्तों के समक्ष प्रकट हुए थे। उन्होंने देखा कि गिरिश घोष अन्य भक्तों के साथ उनका इंतजार कर रहे थे। तब रामकृष्ण ने अपने परम भक्त गिरिश को बुलाकर पूछा कि बोलो आज तुम्हें क्या चाहिए? तुमलोग जो मांगोगे वही मिलेगा। जबाव में गिरिश ने कहा कि उसे कुछ नहीं मांगना है। यह सुनकर रामकृष्ण ने सभी का आह्वान करते हुए कहा कि तुमलोगों का कल्याण हो। उन्होंने लोगों को जीवन दर्शन का पाठ पढ़ाया था। इतिहास में यह उल्लेखित है कि एक जनवरी १८८६ को रामकृष्ण ने जिन लोगों को स्पर्श किया था उन सब की मनोकामना पूरी हुई थी। इसके बाद से ही भक्त अपनी मन्नत लेकर हर साल दक्षिणेश्वर और उद्यानबाटी में पूजा अर्चना के लिए इकट्ठा होते हैं। (कासं.)
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