कोलकाता

Kashmir attack: पश्चिम बंगाल के इस गांव में पसरा मातम

मृतकों के परिवार के सदस्यों का कहना है कि आतंकवादी उन्हें कुछ दिनों से घाटी छोडऩे के लिए धमकी दे रहे थे। वे भयभीत थे। उन्होंने इस सप्ताह के अंत तक घर वापस लौटने की बात कही थी…

कोलकाताOct 30, 2019 / 10:55 pm

Ashutosh Kumar Singh

Kashmir attack: पश्चिम बंगाल के इस गांव में पसरा मातम

कोलकाता
कश्मीर में आंतककारियों के नृशंस कार्रवाई की घटना से पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले बहलनगर गांव में मातम पसर गया है। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में मंगलवार रात आतंकारियों के हाथों मारे गए मजदूरों के परिजनों के रोने-बिलखने की आवाज से पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया है। मृत श्रमिक नइमुद्दीन शेख, मुर्सलीम शेख, रफीक शेख, कमरुद्दीन शेख सभी मुर्शिदाबाद जिले के बहलनगर गांव के निवासी थे। सभी सेब के बागान में काम करते थे।
मृतकों के परिवार के सदस्यों का कहना है कि आतंकवादी उन्हें कुछ दिनों से घाटी छोडऩे के लिए धमकी दे रहे थे। वे भयभीत थे। उन्होंने इस सप्ताह के अंत तक घर वापस लौटने की बात लौटने की बात कही थी।
नइमुद्दीन के पिता जरीस शेख जो खुद कश्मीर में एक सेब के बगीचे में एक मजदूर के रूप में काम करते हैं,ने कहा कि उनके बेटे और अन्य श्रमिकों को नियमित रूप से आतंकवादियों द्वारा धमकी दी जा रही थी कि वे घाटी छोडऩे के लिए कहें। आतंकवादी समूहों से नियमित रूप से धमकी भरे फोन आ रहे थे। जारिस शेख ने संवाददाताओं से कहा कि मेरा बेटा गुरुवार को वापस लौटने के लिए तैयार था, क्योंकि उसे अपना भुगतान मिलना बाकी था। मैं सोमवार को लौट रहा था तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपने बेटे को आखिरी बार देखूंगा।
कमरुद्दीन शेख के बड़े भाई अमीनिरुल ने कहा कि पिछले हफ्ते जब उन्होंने बाद वाले से बात की थी तो उन्होंने कहा था कि वह दिवाली के बाद घर वापस आएंगे और वापस रहेंगे। कमरुद्दीन पिछले कई वर्षों से कश्मीर में काम कर रहा था। इस बार जब हमने आखिरी बार बात की तो उन्होंने मुझसे कहा था कि वह वापस घाटी नहीं जाएंगे, क्योंकि स्थिति ठीक नहीं है और उन्हें लगातार छोडऩे के लिए कहा जा रहा है। गंभीर रूप से घायल जहीरुद्दीन शेख की पत्नी पारोमिता ने उसका पति वापस आ जाता है, तो वह उसे वापस काम करने के लिए कश्मीर जाने की अनुमति नहीं देगी। भले वह हम भूखे रहे, लेकिन पति को दुबारा कश्मीर नहीं जाने देगी।
बहल नगर के स्थानीय लोगों के अनुसार, गांव के कई युवक पिछले 20 वर्षों से सेब के बागानों या कश्मीर के निर्माण स्थलों पर प्रवासी मज़दूरों के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे परिवार हैं जिन्हें कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले अपने लोगों के संपर्क नहीं हो पा रहा है। रोशनी बीबी ने कहा कि वह पिछले 10 दिनों से अपने पति से सम्पर्क करने की कोशिश कर रही है, लेकिन सम्पर्क नहीं हो रहा है। पांच लोगों की हत्या की खबर गांव में पहुंचने के बाद वे सभी सो नहीं पाए है।

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