पटेल की जयंती पर काव्यांजलि
कोलकाताPublished: Nov 01, 2018 10:54:26 pm
पटेल की 143वीं जयंती पर हुआ स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण
पटेल की जयंती पर काव्यांजलि
कोलकाता. बडा़बाजार लाइब्रेरी की द्वैमासिक अंतरंग साहित्यिक गोष्ठी के तहत सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री सभागार में काव्यांजलि का आयोजन किया गया। अध्यक्षता भोजपुरी जन जागरण अभियान पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष रामपुकार सिंह ने की। मुख्य अतिथि आगमन संस्था अध्यक्ष अनुपमा झा और विशिष्ट अतिथि विजय शंकर सिंह, गीतकार योगेंद्र शुक्ल सुमन थे। संचालन कवि डॉ. गिरिधर राय ने किया। अनुराधा सिंह अनु ने सरस्वती वंदना की और कामेश्वर पाण्डेय ने पटेल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। लगभग 35 रचनाकारों ने काव्य पाठ किया, जिसमें डॉ.सुभाष चन्द्र शुक्ल, सुरेश चौधरी, संदीप गुप्ता, चन्द्रिका प्रसाद पांडेय अनुरागी, काली प्रसाद जायसवाल,रावेल पुष्प, सुषमा पांडेय, पूनम सोनछात्रा और अनु नेवटिया आदि शामिल थीं। लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष जयगोपाल गुप्त ने धन्यवाद ज्ञापित किया। महावीर प्रसाद अग्रवाल वैद्य, जयगोपाल गुप्त, डॉ. सुभाष चन्द्र शुक्ल, रामाकांत सक्रिय रहे। गुजरात के केवडय़िा में पीएम मोदी ने जब सरदार पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया, तो यह सरदार बल्लभभाई पटेल के परिवार के लिए गौरव की बात थी। पटेल के नाती-पोते ने काफी गर्व महसूस किया। पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी सो दोगुना लंबा है और करीब 2989 करोड़ की लागत से बनी है। यह गुजरात में नर्मदा बांध के पास में है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा बुधवार को देश को समर्पित करते हुए कहा कि यह भारत को विखंडित करने के प्रयासों को विफल करने वाले व्यक्ति के साहस की याद दिलाती रहेगी. गुजरात के राज्यपाल ओपी. कोहली, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के लोकार्पण के दौरान मौजूद थे। प्रतिमा का लोकार्पण सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर हुआ। पटेल के छोटे भाई की पोती मृदुला ने कहा कि ऐसा लगा जैसे सरदार पटेल हमारी जिंदगी में वापस आ गए. पूरी दुनिया देख रही है. हम काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और काफी खुश हैं. पीएम मोदी ने बड़ा काम किया है. जो लोग पटेल को भूल गये हैं, अब वे उन्हें याद रखेंगे. अगली पीढ़ी भी अब उन्हें जान पाएगी. लोग यहां आने और प्रतिमा देखने को मजबूर हो जाएंगे। पटेल के परिवार ने कहा कि अगर कोई सरदार पटेल के नाम का इस्तेमाल देश की भलाई के लिए करता है तो उन्हें काफी अच्छा महसूस होता है। मृदुला के भाई भूपेंद्र पटेल ने कहा कि सरदार पटेल जितना परिवार से प्यार करते थे, उतने ही अपने देश से भी. उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा में लगा दी. वह कोई पैसा और पद नहीं चाहते थे. जब परिवार के पास पैसे नहीं थे, तब उन्होंने मेरे दादा जी को पढऩे के लिए बॉम्बे भेज दिया. वह निस्वार्थी इंसान थे। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 182 मीटर। प्रतिमा अपने आप में अनूठी है और इसके पैर की ऊंचाई 80 फीट, हाथ की ऊंचाई 70 फीट, कंधे की ऊंचाई 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फीट। मूर्ति का निर्माण राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ है। देश-विदेश में अपनी शिल्प कला का लोहा मनवाने वाले सुतार को 2016 में सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इससे पहले वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री भी प्रदान किया जा चुका है।