कोलकाता

केएमसी ने हॉकरों से कहा, प्लास्टिक हटाएं और छाता लगाएं

सोमवार से महानगर में शुरू हुई लगातार बारिश से बचने के लिए विभिन्न बाजारों के हॉकरों ने फिर से प्लास्टि का सहारा लेना शुरू कर दिया है। नगर निमग के विरोध करने के कारण विभिन्न बाजारों से प्लास्टिक के छाजन हटा चुके हाकर एक बार फिर प्लास्टिक के शरण में आ चुके हैं।

कोलकाताFeb 28, 2019 / 02:55 pm

Jyoti Dubey

केएमसी ने हॉकरों से कहा, प्लास्टिक हटाएं और छाता लगाएं

– बारिश होते ही हॉकरों ने प्लास्टिक का तिरपाल लगाना किया शुरू

– प्लास्टि के खिलाफ 6 बाजारों में चलाया गया अभियान

कोलकाता. सोमवार से महानगर में शुरू हुई लगातार बारिश से बचने के लिए विभिन्न बाजारों के हॉकरों ने फिर से प्लास्टि का सहारा लेना शुरू कर दिया है। नगर निमग के विरोध करने के कारण विभिन्न बाजारों से प्लास्टिक के छाजन हटा चुके हाकर एक बार फिर प्लास्टिक के शरण में आ चुके हैं। पिछले 48 घंटों से रूक-रूककर हो रही बारिश से अपने सामानों को ढकने और अपने ग्राहकों को भींगने से बचाने के लिए गरियाहाट, न्यूमार्केट, हाथीबागान, बड़ाबाजार सह अन्य बाजारों के हॉकरों ने प्लास्टिक और प्लास्टिक से बने तिरपालों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि गरियाहाट अग्निकांड के बाद निगम की ओर से शहर के सभी बाजारों में प्लास्टिक छाजन और तिरपाल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। बारिश और धूप से बचने के लिए उन्हें कपड़ों के बड़े छातों का इस्तेमाल करने की हिदायत दी गई है। निगम के निर्देश के बाद शहर के ज्यादातर बाजारों से प्लास्टिकके छाजन खोल दिए गए थे। मगर बारिश शुरू होते ही एक बार फिर से प्लास्टिक का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। इसकी खबर मिलते ही कोलकाता नगर निगम के मार्केट विभाग की एक टीम ने बुधवार को शहर के न्यूमार्केट, हाथीबागान, गरियाहाट सह 6 बाजारों में पुन: अभियान चलाया। अभियान के तहत उन्होंने उन हॉकरों को चिन्हित किया जो प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही उन्हें चेतावनी भी दी कि वे जल्द से जल्द प्लास्टिक को हटाएं और उसके बदले छातों का इस्तेमाल करें। हालांकि कपड़ों के छाते हॉकरों को खुद जुगाड़ करने पड़ेंगे। गौरतलब है कि निगम की ओर से गरियाहाट अग्निकांड में आग की चपेट में अपने सामानों को खो चुके हॉकरों को निगम की ओर से ये छाते दिए गए हैं।

– क्या कहना है हॉकरों का

बारिश के दौरान प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाए जाने पर हॉकरों में असमंजस बना हुआ है। एक ओर जहां सूखे मौसम में हॉकरों को निगम के इस फैसले से कोई ऐतराज नहीं था, वहीं बारिश के दौरान इसकी रोक पर हॉकरों का कहना है कि ऐसी तेज बारिश और हवा में छातों के सहारे दुकान चलाना संभव नहीं है। ग्राहक सामान खरीदने आए चाहे न आए, उनके सामानों की क्षति जरूर होगी।

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