इससे पहले कांग्रेस पार्षद प्रकाश उपाध्याय ने माझेरहाट ब्रिज पर प्रस्ताव पेश नहीं किए जाने का कारण पूछा तो चेयरपर्सन माला राय ने कहा कि ब्रिज का मसला राज्य सरकार का है। इसमें कोलकाता नगर निगम की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। कांग्रेस पार्षद दुर्घटना के बाद वैकल्पिक रास्तों के लिए प्रस्ताव संबंधी अपने आवेदन पर बात कर सकते हैं। जिसके बाद वामो पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया और प्रदर्शन करते हुए सदन से वॉकआउट कर गए।
क्या कहा विपक्ष ने
– रत्ना राय मजूमदार, वाम पार्षद – उन्होंने ब्रिज हादसे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव का आवेदन किया था। चेयरपर्सन ने इसे राज्य का मुद्दा बताते हुए अस्वीकृत कर दिया। दूसरी ओर कांग्रेस को संबंधित विषय पर प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देने से स्पष्ट होता है कि चेयरपर्सन वाम पार्षदों के साथ दोहरी नीति अपना रही हैं।
– मृत्युंजय चक्रवर्ती, माकपा पार्षद – माझेरहाट यदि राज्य सरकार का मसला है तो निगम उसकी रंगाई-पुताई क्यों कर रहा था। जब निगम राज्य सरकार से जुड़े सिंगुर के मुद्दे पर चर्चा कर सकता है तो शहर के बीचों-बीच हुए हादसे पर पेश किए जाने वाले प्रस्ताव को अनुमति देने के लिए क्यों तैयार नहीं है। चेयरपर्सन तानाशाह की तरह व्यवहार करती हैं।
– कांग्रेस पार्षद को भी नहीं मिला बोलने का मौका
कांग्रेस पार्षद प्रकाश उपाध्याय को भी बोलने का मौका नहीं मिला। उनका वक्तव्य खत्म होने से पहले ही उनके माइक को बंद करने का चेयरपर्सन ने निर्देश दे दिया और उनकी कही बातों को रिकार्ड से हटाने का निर्देश दे दिया। चेयरपर्सन ने कहा कि कांग्रेस पार्षद अपने प्रस्ताव से भटक कर ब्रिज हादसे का मसला उठा रहे थे।
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शहरवासियों को चाहिए फुलटाईम मेयर
– बार-बार मासिक अधिवेशन का समय बदलने से गुस्साया विपक्ष
कोलकाता नगर निगम के मासिक अधिवेशन की तारीखें बार बार बदले जाने से नाराज विपक्ष ने चेयरपर्सन माला राय और मेयर शोभन चटर्जी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने निगम के लिए फुलटाइम मेयर नियुक्त किए जाने की मांग की। पहले मासिक अधिवेशन ११ सितम्बर को रखा गया था जिसे बदलकर १२ और आखिर में १३ सितंबर किया गया था। चेयरपर्सन माला राय के अनुसार मेयर शोभन चटर्जी मंत्री होने के नाते राज्य केबिनेट की बैठक में हिस्सा ले रहे थे जिसके कारण अधिवेशन की तारीख बदलनी पड़ी।
कांग्रेस पार्षद प्रकाश उपाध्याय ने तंज कसते हुए कहा कि मेयर निगम में कब उपस्थित रहते हैं और कब नहीं यह निगम से जुड़े सभी लोग जान सकें, इसके लिए उनके कमरे के बाहर एक टाईमर लगा देना चाहिए। जिससे उनकी उपस्थिति का टाईम रिकॉर्ड किया जा सके।