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राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की अपील के बाद तोड़ा था ममता दीदी ने 25 दिन का अनशन

locationकोलकाताPublished: Jan 05, 2019 07:52:22 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का ऐतिहासिक अनशन 25 दिनों तक चला था। 4 दिसम्बर 2006 से शुरू हुआ अनशन 28 दिसम्बर 2006 की आधी रात को टूटा था। उनका अनशन तोडऩे में तत्कालिक राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका रही।

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राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की अपील के बाद तोड़ा था ममता दीदी ने 25 दिन का अनशन


– ममता बनर्जी के जन्मदिन पर विशेष
कोलकाता. सिंगूर में टाटा के मोटर कारखाने के लिए किसानों से ली गई जमीन लौटाए जाने की मांग पर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का ऐतिहासिक अनशन २५ दिनों तक चला था। ४ दिसम्बर २००६ से शुरू हुआ अनशन २८ दिसम्बर २००६ की आधी रात को टूटा था। उनका अनशन तोडऩे में तत्कालिक राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका रही। मनमोहन सिंह के ममता बनर्जी को लिखे गए पत्र और राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के तत्कालिक मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को दिए गए संदेश का परिणाम था कि तात्कालिक वाममोर्चा सरकार हरकत में आई थी। आंदोलनरत ममता बनर्जी को सिंगूर समस्या का समाधान बातचीत के रास्ते निकालने का भरोसा दिया गया था। तात्कालिक राष्ट्रपति कलाम ने ममता को अनशन तोडऩे की अपील करते हुए कहा था कि जीवन अमूल्य होता है। वहीं तात्कालिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी ममता को अनशन तोडऩे की अपील करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य से उनकी बात हुई है वे सिंगूर मसले पर बातचीत को तैयार हैं। जिसके बाद आधी रात को ममता ने लडख़ड़ाती आवाज में अपने अनशन तोडऩे की घोषणा की थी। अनशनस्थल पर तृणमूल सुप्रीमो के साथ रहे तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक लगातार अनशन से दीदी की तबीयत बेहद खराब हो गई थी। उन्होंने तरल पदार्थ लेने से इंकार कर दिया था। उनका ब्लड प्रेशर तेजी से कम हो रहा था, वे मांसपेशियों में खिंचाव सीने और पेट में असहनीय दर्द से भुगत रही थीं। पार्टी नेतृत्व ने उनकी देखरेख के लिए सात सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया था। जो उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखे हुआ था। वहीं तात्कालिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निर्देश पर सेना के पूर्वी कमांड की ओर से कोलकाता स्थित कमांड अस्पताल में मेडिकल टीम तैनात रखी गई थी, जो आदेश मिलते ही ममता बनर्जी की चिकित्सा में जुट जाती।
सिंगूर आंदोलन से जुड़े तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि ममता दीदी के उस ऐतिहासिक २५ दिनों के अनशन ने किसानों के मसले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी थी। सिंगूर का मामला राष्ट्रीय सुर्खियां बना था। किसी भी सूरत में वहां ऑटोमोबाइल कारखाना लगाने पर अड़ी तात्कालिक वाममोर्चा सरकार के मुखिया बुद्धदेव भट्टाचार्य दबाव में आए थे। जो उस समय आंदोलनकारियों की नैतिक जीत थी।
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