दरअसल वर्ष 2001 में द सवर्ण राय चौधरी परिवार परिषद की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने माना था कि जॉब चार्नक कलकत्ता की स्थापना करने वाले नहीं थे। वर्ष २००३ में अदालत के फैसले में कहा गया था कि कलकत्ता का कोई जन्मदिन नहीं है। परिवार परिषद ने अपनी याचिका में कलकत्ता का जन्मदिन २४ अगस्त को मनाए जाने, जॉब चार्नक के इसके स्थापक होने को चुनौती दी थी। सच्चाई का पता लगाने के लिए जांच आयोग के गठन की मांग की थी। अदालत ने जाने माने इतिहासविदों को लेकर आयोग का गठन किया था। जिसने वर्ष 2003 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। जिसके आधार पर अदालत ने कलकत्ता का कोई जन्मदिन नहीं होने की बात कही थी। परिवार परिषद ने अपनी याचिका के समर्थन में 1698 की लैंड डीड भी पेश की थी जो लंदन स्थित संग्रहालय से मंगाई गई थी। इसके अलावा परिवार ने सन 1660 के समय का कलकत्ता का नक्शा व अन्य दस्तावेज भी सामने रखे थे। जिसके आधार व पांच सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने यह फैसला सुनाया था।
इतिहासकारों के एक वर्ग का मानना है कि कलकत्ता का इतिहास लगभग 15 सौ वर्ष पुराना है। लंबे समय से यह इलाका व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र रहा। पुर्तगालियों के यहां 1510 में आने के प्रमाण भी मिलते हैं।