एनआरसी की मुखर आलोचक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने बीजेपी पर इस कदम के जरिए लोगों को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाया. पार्टी ने एनआरसी को अपडेट किए जाने के खिलाफ राज्य के अन्य हिस्सों में सात और आठ सितंबर को रैलियां निकाली थी. असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का प्रकाशन 31 अगस्त को हुआ. कुल 3.29 करोड़ से ज्यादा आवेदकों में 19 लाख से ज्यादा लोग इस सूची से बाहर रह गए.
इससे पहले सीएम ममता ने बड़ी संख्या में बंगालियों को एनआरसी की अंतिम सूची से ‘बाहर’ रखे जाने पर भी चिंता जताई थी. ममता बनर्जी ने ट्विटर पर लिखा था, ”एनआरसी की विफलता ने उन सभी लोगों को उजागर कर दिया है जो इससे राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं. उन्हें देश को बहुत जवाब देने है.” मुख्यमंत्री ने कहा था, ”ऐसा तब होता है जब कोई कार्य समाज की भलाई और देश के व्यापक हित के बजाय गलत उद्देश्य के लिए किया जाये.” इसके साथ ही उन्होंने कहा था, ”मेरी हमदर्दी उन सभी, विशेषकर बड़ी संख्या में बांग्ला भाषी भाइयों और बहनों के साथ है, जो इस व्यर्थ की प्रक्रिया के कारण पीड़ित हुए हैं.”