कोलकाता. स्वामी त्रिभुवनपुरी के सान्निध्य में रामेश्वरनाथ महादेव मंदिर में गंगासागर से आए साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मानव जीवन में चरित्र, संस्कार एवं कर्म की प्रधानता है। हम मंदिर में ईश्वर का दर्शन, पूजा करते हैं, लेकिन मन शुद्ध होना जरुरी है। उन्होंने कहा कि मन का स्वभाव चंचल होता है, मन में विकार होने से पूजा-धार्मिक अनुष्ठानों का पुण्य लाभ नहीं मिलता। इस अवसर पर लालबहादुर पाठक, मनमोहन गाडोदिया, सुरेश पाण्डेय, हरिप्रकाश सोनी, अनिल जालान, मनोज पारासर, अनिल शर्मा, रणजीत शुक्ला आदि मौजूद थे।
‘भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण’
‘भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण’
— लेकटाऊन में भागवत कथा
कोलकाता. आचार्य राधेश्याम शास्त्री ने लेकटाऊन में ईस्ट कोलकाता नागरिक फाउण्डेशन की ओर से आयोजित भागवत कथा के ६ठे दिन श्रोताओं से खचाखच भरे पंडाल में रुक्मिणी कथा का वर्णन कर कहा कि भक्त की करुण पुकार पर भगवान दौड़े चले आते हैं। शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा श्रवण करने से मन का शुद्धिकरण होता है। शास्त्री ने महारास लीला, उद्धव गोपी संवाद सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा पंडाल में रुकमणी और कृष्ण विवाह धूमधाम से मनाया गया। उन्होंने भारत की संस्कृति की संवाहिका संस्कृत भाषा के बारे में विस्तृत रूप में कहा कि संस्कृत से ही संस्कारों का ज्ञान प्राप्त होता है व इसी से संस्कृति का निर्माण हो सकता है। यदि विश्व को सभ्यता के सकारात्मक शिखर पर देखना चाहते हैं तो संस्कृत को राष्ट्रभाषा ही नहीं, विश्व भाषा का सम्मान देना होगा। उन्होंने कथा प्रसंग में उषा अनिरूद्ध मिलन, जरासंध उद्वार का वर्णन भी किया। यजमान चौधरी परिवार के साथ विधायक परेश पाल, शोभा तोदी एवं अन्य ने आरती व व्यासपीठ का पूजन किया। संस्था अध्यक्ष प्रीतम दफ्तरी, अशोक भरतिया, हरिकिशन राठी, संतोष अग्रवाल, दिलीप सराफ, श्रीराम अग्रवाल, मनोज बंका आदि सक्रिय रहे। संयोजक प्रकाश चण्डालिया ने संचालन किया।
कोलकाता. आचार्य राधेश्याम शास्त्री ने लेकटाऊन में ईस्ट कोलकाता नागरिक फाउण्डेशन की ओर से आयोजित भागवत कथा के ६ठे दिन श्रोताओं से खचाखच भरे पंडाल में रुक्मिणी कथा का वर्णन कर कहा कि भक्त की करुण पुकार पर भगवान दौड़े चले आते हैं। शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा श्रवण करने से मन का शुद्धिकरण होता है। शास्त्री ने महारास लीला, उद्धव गोपी संवाद सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा पंडाल में रुकमणी और कृष्ण विवाह धूमधाम से मनाया गया। उन्होंने भारत की संस्कृति की संवाहिका संस्कृत भाषा के बारे में विस्तृत रूप में कहा कि संस्कृत से ही संस्कारों का ज्ञान प्राप्त होता है व इसी से संस्कृति का निर्माण हो सकता है। यदि विश्व को सभ्यता के सकारात्मक शिखर पर देखना चाहते हैं तो संस्कृत को राष्ट्रभाषा ही नहीं, विश्व भाषा का सम्मान देना होगा। उन्होंने कथा प्रसंग में उषा अनिरूद्ध मिलन, जरासंध उद्वार का वर्णन भी किया। यजमान चौधरी परिवार के साथ विधायक परेश पाल, शोभा तोदी एवं अन्य ने आरती व व्यासपीठ का पूजन किया। संस्था अध्यक्ष प्रीतम दफ्तरी, अशोक भरतिया, हरिकिशन राठी, संतोष अग्रवाल, दिलीप सराफ, श्रीराम अग्रवाल, मनोज बंका आदि सक्रिय रहे। संयोजक प्रकाश चण्डालिया ने संचालन किया।