क्या इस अग्निपरीक्षा में पास होंगी यह अग्निकन्या
कोलकाताPublished: Apr 30, 2019 08:55:17 pm
भाजपा का दावा, नतीजों से हैरान होंगी दीदी
लोकसभा चुनाव: अग्निकन्या के लिए अग्निपरीक्षा
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में अग्निकन्या के रूप में मशहूर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए यह लोकसभा चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। २०१४ की तरह 2019 के सियासी रण में वह अपनी पार्टी तृणमूल को राज्य की अधिकांश सीटों पर जीत दिलाने के लिए एड़ी चोटी का पसीना एक कर रही हैं। पीएम मोदी नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जैसे दिग्गज भाजपा नेताओं का सामना करने के लिए उन्हें पूरी ताकत झोंकनी पड़ रही हैं। कभी वह रोड शो तथा पैदल मार्च का सहारा ले रही हैं तो कभी जनसभाओं के जरिए वह मोदी और शाह पर करारे वार कर रही हैं। उनके सामने चुनौती 2019 में 2014 की सफलता को न केवल दोहराने बल्कि उससे भी एक कदम आगे बढऩे की है।
छिटपुट हिंसा के बीच राज्य में तीन चरणों में उत्तर बंगाल की 10 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। बाकी 32 सीटों से ८ सीटों पर २९ अप्रेल को वोट डाले जाएंगे। लड़ाई अब उत्तर बंगाल से दक्षिण बंगाल पहुंच गई है। उत्तर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, कांग्रेस और वाम मोर्चा लगभग सभी दलों की पकड़ है, पर पूरे दक्षिण बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का एकछत्र राज है। ऐसे में लोकसभा चुनाव का बाकी बचा चरण बेहद दिलचस्प है।
भाजपा ने ममता के अभेद्य किले में सेंध लगाने के लिए कमर कस ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से लेकर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और अन्य केंद्रीय नेताओं, राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इन क्षेत्रों में मोर्चा संभाला है। ममता अकेले घूम-घूमकर इन क्षेत्रों में पार्टी के लिए प्रचार कर रही हैं। वर्ष 2014 में दक्षिण बंगाल की अधिकतर सीटें तृणमूल की झोली में गई थीं।
कोलकाता से लेकर आसनसोल, मिदनापुर, नदिया और उत्तर 24 परगना दक्षिण बंगाल के अंतर्गत आते हैं। आसनसोल में बाबुल सुप्रियो भाजपा के सांसद हैं। इस बार भी पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है। कोलकाता में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राहुल सिन्हा और चंद्र कुमार बोस जैसे दिग्गज नेता भाजपा की ओर से मैदान में हैं। उत्तर 24 परगना के बैरकपुर से हिंदी भाषी पूर्व विधायक अर्जुन सिंह अब भाजपा के पाले में हैं। चुनाव भी लड़ रहे हैं। ऐसे में इस बार ममता के लिए अपना गढ़ बचा पाना वाकई चुनौतीपूर्ण है।
तीन चरणों में जिन 10 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हुआ है उनमें से छह पर 2014 के चुनाव में माकपा और कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इसमें बदरुद्दोजा खान ने मुर्शिदाबाद और मोहम्मद सलीम ने रायगंज से जीत हासिल की थी। कांग्रेस को मालदा उत्तर एवं दक्षिण, जंगीपुर और बहरमपुर में जीत मिली थी। राज्य में सबसे मजबूत विपक्षी दल के रूप में उभरने के बावजूद भाजपा को पिछले आठ वर्षों में इस क्षेत्र में कोई सफलता नहीं मिल पाई है। खास तौर से जबसे ममता सत्ता में आई हैं।
पंचायत चुनावों के बाद जंगमहल और दक्षिण बंगाल में पिछले 20 महीनों में परिवर्तन के संकेत देखे गए हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का दावा है कि ममता दीदी इस बार बंगाल में नतीजों से हैरान होंगी। भाजपा की रैलियों में उमडऩे वाली भीड़ से वे खासे उत्साहित हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि इस बार बंगाल में जबर्दस्त ध्रुवीकरण हुआ है। मजहबी के साथ सीमांत इलाके में नागरिकता, जातिगत समीकरण और भाषागत ध्रुवीकरण करने में भी राजनीतिक पार्टियां सफल हुई हैं। भाजपा ने इस बार अवैध घुसपैठ और एनआरसी को बंगाल में मुख्य मुद्दा बनाया है। राज्य में करीब २८ फीसदी मुस्लिम आबादी है। ऐसे में अगर वोटों का ध्रुवीकरण होता है तो निश्चित रूप से इसका फायदा भाजपा को मिलेगा।