भारतीय कोस्ट गार्ड(Indian Coast Guard) सूत्रों के अनुसार वह लापता ट्रॉलर एफबी नयन का चालक भी है। उससे पूछताछ में पता चला है कि वह पिछले 5 दिनों से समुद्र की लहरों के बीच तैर-तैरकर किसी तरह बचा रहा। इस दौरान उसके पास न कोई लाइफ जैकेट था और ना ही खाने को भोजन। बस जीने की लालसा ने 5 दिनों तक बीच समुद्र में उसकी जान को बचाए रखा। उसे फिलहाल बांग्लादेश के एक अस्पताल में चिकित्साधीन रखा गया है। डॉक्टरों के अनुसार उसकी हालत स्थिर है। दोनों देशों के प्रशासन ने रवींद्रनाथ को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार भारतीय मछुआरे की जान बचाने वाली बांग्लादेश का वह मालवाही जहाज बुधवार को म्यांमार से अपने देश लौट रहा था। बांग्लादेश के समीप पहुंचते ही उन्हें अचानक बीच समुद्र में कोई तैरती हुई चीज दिखाई दी। उन्होंने थोड़े करीब जाकर देखा, तो पता चला कि जीवित मनुष्य है। उसके बाद उन्होंने समुद्र में जाल बिछाकर उक्त मछुआरे की जान बचाई।
उल्लेखनीय है कि रवींद्रनाथ दक्षिण 24 परगना(South 24 Parganas) जिले के नामखाना इलाके का निवासी है। गत शनिवार को खराब मौसम के कारण बंगाल की खाड़ी में लापता हुए मछुआरों में वह भी शामिल था। भारतीय कोस्ट गार्ड ने पिछले दिनों बांग्लादेशी कोस्ट गार्ड के साथ मिलकर भले ही लापता मछुआरों में से 6 की जानबचा ली थी। लेकिन अभी भी रवींद्रनाथ सहित 25 मछुआरे लापता थे। बुधवार की रात को रवींद्रनाथ के मिलने की खबर सुनकर उसके परिवार के सदस्यों ने राहत की सांस ली है। अब वे उसका जल्द से जल्द भारत लौटने का इंतेजार कर रहे हैं।
हालांकि 24 मछुआरें अब भी लापता हैं। भारतीय कोस्ट गार्ड के जवान बांग्लादेशी कोस्ट गार्डों की मदद से उन्हें तलाशने के प्रयास में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि गत शनिवार को खराब मौसम की चेतावनी के बावजूद एफबी नयन व एफबी दशभूजा सहित कई ट्रॉलर में सवार होकर 31 मछुआरों ने बंगाल की खाड़ी में प्रवेश किया था। बांग्लादेश की सीमा के पास ट्रॉलरों के पहुंचते ही मौसम खराब हो गया और समुद्र की लहरों में ये मछुआरे ट्रॉलर समेत लापता हो गए। उसके बाद से ही इन मछुआरों को पता लगाने का कार्य जोरो से चल रहा है। इसके लिए बांग्लादेश के तटरक्षकों व नाविकों की भी सहायता ली जा रही है।