प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को जबदस्त पटखनी देकर उनका गुरुर तोड़ दिया। भाजपा 42 में से 19 संसदीय सीटों पर आगे चल रही है। बैरकपुर, मिदनापुर, हुगली सहित कई अन्य सीटों पर तृणमूल को कड़ी टक्कर मिल रही है। अब यह कहा जाने लगा कि लोकसभा चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए ममता बनर्जी आने वाले दिनों में राज्य की बदली हुई रणनीति पर कड़ी मेहनत करती दिखेंगी। उनकी प्राथमिकता विधानसभा चुनाव में सफलता पाने की होगी। वह किसी भी कीमत पर अपनी सत्ता बनाए रखना चाहेंगी। मतगणना के अब तक के रूझानों पर वामदलों के नेता कह रहे हैं कि बंगाल में भाजपा के मजबूत होने की सबसे बड़ी वजह खुद ममता बनर्जी ही हैं। ममता ने राज्य से वामदलों को खत्म करने की रणनीति पर काम किया, पर बढ़त भाजपा को मिल रही है। उन्हें यह लगता था कि भाजपा से सीधी लड़ाई की स्थिति में वोटों का ध्रुवीकरण उनके पक्ष में होगा और इससे वह और मजबूत होंगी। लेकिन यह रणनीति उनके खिलाफ जाती दिख रही है। वामदलों के कमजोर होते ही उनका वोट भाजपा की झोली में जा गिरा और राज्य में भाजपा विकल्प के तौर पर खड़ी हो गई। अब ‘दीदी’ के पास भाजपा से बचने का एक ही रास्ता माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में वामदल फिर से मजबूत होते दिखें। सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि वामदलों को जिंदा करने के लिए ममता आने वाले दिनों में उनपर कसे शिकंजे को ढीला करना शुरू कर सकती हैं। इस तरह पानी पी-पीकर भाजपा को कोसते रहने वाले वामदलों के लिए भाजपा एक तरह से संजीवनी साबित हो सकती है।