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कोलकाता

माकपा के बाद तृणमूल के पास सीट, क्या कायम रह पाएगा किला?

मेदिनीपुर संसदीय सीट—माकपा के कद्दावर नेता इंद्रजीत गुप्ता की रही है कर्मस्थली

कोलकाताMay 15, 2019 / 12:29 pm

Shishir Sharan Rahi

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माकपा के बाद तृणमूल के पास सीट, क्या कायम रह पाएगा किला?

कोलकाता/मेदिनीपुर. 17वीं लोकसभा चुनाव के छठे चरण के तहत 12 मई को होने वाले चुनाव में बंगाल का मेदिनीपुर संसदीय सीट बेहद अहम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत बंगाल में इसी लोकसभा सीट से की थी। तृणमूल के लिए इस सीट को बरकरार रखना आसान नहीं है इस बार। तृणमूल और भाजपा प्रमुख तौर पर मैदान में डटी हैं वहीं कांग्रेस भी मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। 2014 से 2019 के बीच यहां भाजपा ने फर्श से अर्श तक की यात्रा पूरी की है। भाजपा ने बंगाल से कम से कम 23 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने सभी 42 सीटों पर हर हाल में जीत दर्ज करने की घोषणा की है। चुनाव रण में भाजपा से दिलीप घोष, कांग्रेस से शंभूनाथ चट्टोपाध्याय, तृणमूल कांग्रेस से मानस रंजन भूइंया और भाकपा से विप्लव भट्ट उम्मीदवार हैं। 2014 के पहले यहां माकपा हावी थी, लेकिन ममता सरकार के आने के बाद यहां तृणमूल का झंडा लहराया। यह झंडा लहराता रहेगा, या नहीं यह २३ मई को तय होगा। भाजपा का वोट बैंक यहां बढ़ सकता है लेकिन पार्टी की हार होगी या जीत यह जनता तय करेगी। मेदिनीपुर को सीपीएम का गढ़ माना जाता है। लहर कोई भी रही हो लेकिन 2009 में तृणमूल की लहर चली तो माकपा किला हिल गया। पश्चिम बंगाल की ४२ लोकसभा सीटों में से महत्वपूर्ण मेदिनीपुर संसदीय क्षेत्र 1951 में ही अस्तित्व में आ गया था। माकपा के कद्दावर नेता इंद्रजीत गुप्ता की कर्मस्थली रह चुके मेदिनीपुर की साक्षरता दर ९० फीसदी है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 92 और महिलाओं की 83 फीसदी है।२०१७ लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी संध्या रॉय ने 1,85,128 वोटों से जीत हासिल की। —-7 विधानसभा बंगाल में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के संबंध में परिसीमन आयोग के आदेश के अनुसार 2006 में मेदिनीपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र 7 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों (पटशपुर, मिदनापुर, खडग़पुर टाउन, खडग़पुर ग्रामीण, केशरी (एसटी), नारायणगढ़ और दांतन) से बना। मेदिनीपुर शहर मेदिनीपुर पश्चिम जिला का मुख्यालय भी है, जो कांग्सताबती नदी के किनारे स्थित है। महिला-पुरुष अनुपात-९६० (१ हजार पुरुषों पर ९६० महिलाएं)। बांग्ला यहां की आधिकारिक भाषा है, पर साथ ही हिंदी, ऊर्दू, मारवाड़ी और अंग्रेजी यहां आसानी से बोली जाती है। बहुत सारे परंपरागत-आधुनिक शिक्षण संस्थान मेदिनीपुर में हैं। अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। परांपरागत और आधुनिक शिक्षण संस्थानों से लबरेज मेदिनीपुर की आधे से ज्यादा आबादी कृषि आधारित है। जमीन और प्रकृति सौंदर्य से भरपूर यहां अनेक तरह के फूल पाए जाते हैं, जिनका व्यापार विदेशों तक फैला है। कई तरह के व्यापार यहां है, रेलवे यहां बहुत गहराई से जुड़ी हुई है और कई स्टेट हाइवे से यह शहर जुड़ा है। 1997 में मेगा सिटी परियोजना में शामिल मेदिनीपुर संसदीय सीट की जनसंख्या 2,166,808 है, जिसमें लगभग आधे हिन्दू और आधे मुसलमान हैं। 76.27 प्रतिशत आबादी ग्रामीण और 23.73 फीसदी शहरी। यहां 15.23 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जनजाति। —-राजनीतिक पृष्ठभूमि1952 में यह सीट मिदनापुर-झाडग़्राम के नाम से थी। पहली लोकसभा के सांसद 1952 में यहां से कांग्रेस के भारत लाल टुडु ने जीत हासिल की थी। 1957 में इस सीट का नाम मिदनापुर हुआ और फिर यहां कांग्रेस का उम्मीदार ही विजयी हुआ। 1962 में कांग्रेस के गोविंद कुमार सिंघू सांसद बने। 1971 में कांग्रेस के सुबोध चंद्र हंसदा, 1971 में लोकदल के सुधीर कुमार घोषाल, १९८० में माकपा ने इस सीट पर कब्जा किया और नारायण चौबे ने बाजी मारी। 1989, 19991, 1996, 1998, 1999 तक लगातार 5 बार माकपा के इंद्रजीत गुप्ता मिदनापुर के सांसद रहे। 2001 उपचुनाव और 2004 में में माकपा के प्रबोध पंडा को विजय मिली।—-सामाजिक ताना-बानामेदिनीपुर लोकसभा क्षेत्र पूर्व मेदिनीपुर और पश्चिम मेदिनीपुर जिले में स्थित है। 2011 जनगणना के मुताबिक आबादी 21,66,808 है, जिसमें 76.27 फीसदी आबादी ग्रामीण, 23.73 फीसदी शहरी। अनुसूचित जाति-जनजाति अनुपात 15.23 और 12.68 फीसदी।मतदाताओं की संख्या 16,06,316 और विधानसभा सीट 7 है। —2014 चुनाव२०१४ में पूरे बंगाल में लड़ाई तृणमूल कांग्रेस और माकपा के बीच रही। मेदिनीपुर में 2009 में तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी दीपक कुमार घोष दूसरे नंबर पर थे और माकपा के प्रबोध पंडा ने जीत दर्ज की थी पर 2014 में बाजी पलटी। मेदिनीपुर सामान्य सीट से तृणमूल कांग्रेस की संध्या रॉय को विजय मिली और प्रबोध पंडा दूसरे स्थान पर रहे। संध्या को 5,79,860 तथा प्रबोध को 3,95,194 वोट मिले। 2014 में 84.22 फीसदी वोटिंग हुई। —सांसद का रिपोर्ट कार्डसांसद चुने जाने के समय संध्या की उम्र 77 साल थी। इन्होंने मैट्रिक से कम शिक्षा हासिल की है और बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री में योगदान के लिए यूएसए में लाइफ टाइम अचीवमेंट, बंगाल कम्युनिटी में योगदान के लिए उत्तर बंग अवॉर्ड से नवाजा गया है। संसद में इनकी हाजिरी 52.96 फीसदी। कोई सवाल नहीं पूछा। पूरे सत्र में इन्होंने 2 डिबेट में हिस्सा लिया। कोई प्राइवेट मेंबर बिल इनके नाम नहीं। सांसद विकास निधि के तौर पर मिले 25 करोड़ में से 24.35 फीसदी रकम (97.4 फीसदी) खर्च की। सोशल और मेडिकल इश्यू पर संध्या लोगों को जागरूक करती है।

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