समारोह का मुख्य आकर्षण मुंबई के पाश्र्व गायक अरूण डागा की काव्या और कीर्ति संग एक से बढक़र एक सदाबहार हिन्दी, मारवाड़ी और राजस्थानी गीतों की संगीतमय प्रस्तुति ….यादों की बारात रही, जो सचमुच कलामंदिर में मौजूद दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ गया। अरूण डागा ने कीर्ति के साथ जब 41 हिन्दी फिल्मी गीतों को बिना रूके सुर-लय में एक साथ गाना शुरू किया, तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। .….परदा नहीं जब कोई खुदा से, बंदों से परदा करना क्या, चंदन सा बदन, लागा चुनरी में दाग जैसे पुराने गीतों से लेकर अच्छा चलता हूं दुआओं में याद करना और राजस्थानी लोकगीत धरती धोरा री…आदि गीत पेश कर डागा ने दर्शक दीर्घा को झूमने पर मजबूर कर दिया।
——ये रहे सक्रिय
——ये रहे सक्रिय
स्वागाताध्यक्ष सूरज रतन कोठारी, संयोजक सुभाष चंद्र मूंधड़ा, मनोज कुमार मूंधड़ा, गज्जु चांडक, गौरीशंकर भूतड़ा, स्वागत मंत्री अशोक कुमार द्वारकानी, सभापति अशोक कुमार दुजारी, मंत्री गोपाल कृष्ण कासट, उपसभापति नारायण दास मूंधड़ा, घनश्याम दास लाखोटिया, उपमंत्री पवन कुमार मूंधड़ा, खेल मंत्री अशोक बाहेती, कोषमंत्री विश्वनाथ थिरानी, निवर्तमान सभापति घनश्याम दास पुगलिया, कार्यकारिणी सदस्य अरूण कुमार राठी, विमल राठी, किशन कुमार दुजारी, मनमोहन बागड़ी, पूनमचंद मूंधड़ा, सुनील कुमार लाहोटी आदि मौजूद थे। उत्सव को सफल बनाने में मूलचंद राठी, राजेश दम्मानी, राजकुमार बाहेती, दीनदयाल राठी, नंदकिशोर सादानी, विनोद कुमार दम्मानी, किशन कुमार झंवर, राजेश कुमार मोहता, बजरंगलाल मूंधड़ा, रमेश कुमार मूंधड़ा, जुगल किशोर मूंधड़ा, राकेश मोहता, विमल राठी, राजेंद्र कुमार लाखोटिया, मोतीलाल कासट, जगमोहन डागा और मनोज कुमार मूंधड़ा आदि सक्रिय रहे।