कोलकाता
अगले लोकसभा चुनाव के म²ेनजर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में एकजुट होकर वोट देने वाले मतुआ समुदाय को फिर से अपने पाले में करने की कवायद तेज कर दी है। उन्होंने गुरुवार को मतुआ समुदाय के संस्थापक के नाम पर विश्वविद्यालय बनाने सहित अन्य सौगातों की झड़ी लगा दी।
अगले लोकसभा चुनाव के म²ेनजर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में एकजुट होकर वोट देने वाले मतुआ समुदाय को फिर से अपने पाले में करने की कवायद तेज कर दी है। उन्होंने गुरुवार को मतुआ समुदाय के संस्थापक के नाम पर विश्वविद्यालय बनाने सहित अन्य सौगातों की झड़ी लगा दी।
मतुआ समुदाय के लिए विकास परिषद गठन करने की घोषणा करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बांग्लादेश से आए इन दलित हिन्दू शरणार्थियों की बड़ी मां के नाम से जाने जाने वाली मतुआ महासंघ की प्रमुख वीणापानी देवी को जन्मदिन की बधाई देने उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर तय समय से करीब 20 मिनट पहले पहुंची। बड़ी मां को बधाई देने के बाद मतुआ समुदाय के लोगों को लुभाते हुए ममता बनर्जी ने मतुआ महासंघ के मुख्यालय से करीब पांच किलो मीटर दूर उत्तर 24 परगना जिले के चांदपाड़ा में समुदाय के संस्थापकों हरिचांद ठाकुर और गुरुचांद ठाकुर के नाम पर विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबों के खिलाफ अत्याचार के विरोध करने में मतुआ महासंघ खड़ा हुआ था। उनकी सरकार हरिचांद ठाकुर और गुरुचांद ठाकुर के नाम पर चांदपाड़ा में 8.8 एकड़ जमीन पर विश्वविद्यालय बनाएगी।
इसके लिए जमीन की पहचान कर शिक्षा विभाग को सौंप दी गई है। मुख्यमंत्री ने बड़ी मां को बंग भूषण सम्मान देने की भी घोषणा की। इसके अलावा मतुआ समुदाय मुखिया के आवास ठाकुरबाड़ी का सौन्दर्यकरण करने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्य के पर्यटन विभाग को ठाकुरबाड़ी का गेट बनाने के साथ रोशनी से सजाने का निर्देश दे दिया है।
इसके लिए जमीन की पहचान कर शिक्षा विभाग को सौंप दी गई है। मुख्यमंत्री ने बड़ी मां को बंग भूषण सम्मान देने की भी घोषणा की। इसके अलावा मतुआ समुदाय मुखिया के आवास ठाकुरबाड़ी का सौन्दर्यकरण करने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्य के पर्यटन विभाग को ठाकुरबाड़ी का गेट बनाने के साथ रोशनी से सजाने का निर्देश दे दिया है।
राजनीति में क्या है समुदाय का महत्व
मुस्लिमों के बाद मतुआ समुदाय पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे अधिक राजनीतिक प्रभाव वाला समुदाय है। राज्य में इनकी संख्या करीब 30 लाख है। उत्तर 24 परगना, नदिया और अन्य जिलों में पडऩे वाले लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी जीत-हार में समुदाय की निर्णायक भूमिका होती है। पहले यह समुदाय वाम मोर्चा के घटक दल फारवर्ड ब्लॉक और माकपा के साथ था। पहली बार यह समुदाय बड़ी राजनीतिक शक्ति के रूप में 2011 में ममता बनर्जी के समर्थन में आया और 2016 में भी तृणमूल कांग्रेस का समर्थन किया। अब भाजपा इस समुदाय में सेंध मारने की अथक कोशिश कर रही हैं।
मुस्लिमों के बाद मतुआ समुदाय पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे अधिक राजनीतिक प्रभाव वाला समुदाय है। राज्य में इनकी संख्या करीब 30 लाख है। उत्तर 24 परगना, नदिया और अन्य जिलों में पडऩे वाले लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी जीत-हार में समुदाय की निर्णायक भूमिका होती है। पहले यह समुदाय वाम मोर्चा के घटक दल फारवर्ड ब्लॉक और माकपा के साथ था। पहली बार यह समुदाय बड़ी राजनीतिक शक्ति के रूप में 2011 में ममता बनर्जी के समर्थन में आया और 2016 में भी तृणमूल कांग्रेस का समर्थन किया। अब भाजपा इस समुदाय में सेंध मारने की अथक कोशिश कर रही हैं।