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जल संरक्षण: बंगाल में बनाए 2.62 लाख जलाशय- ममता

locationकोलकाताPublished: Mar 22, 2019 08:39:16 pm

Submitted by:

Prabhat Kumar Gupta

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व जल दिवस पर दावा किया है कि जल संरक्षण के लिए उनकी सरकार की प्रतिबद्धता ने राज्य में जल संरक्षण के लिए कई सुधारवादी कदम उठाए हैं।

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जल संरक्षण: बंगाल में बनाए 2.62 लाख जलाशय- ममता

-कहा, जल धरो जल भरो योजना ग्रामीण आबादी के लिए वरदान साबित
कोलकाता.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व जल दिवस पर दावा किया है कि जल संरक्षण के लिए उनकी सरकार की प्रतिबद्धता ने राज्य में जल संरक्षण के लिए कई सुधारवादी कदम उठाए हैं। सोशल नेटवर्क
ट्वीटर पर शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री ने लिखा कि विश्व जल दिवस है। जल संरक्षण के लिए बंगाल में ‘जल धरो जल भरो’ योजना अत्यधिक सफल रही है। अब तक, 2.62 लाख जलाशय या तो खुदवाए गए या फिर उनका नवीनीकरण किया गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से शुरू की गई उक्त योजना के तहत सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक 2.62 लाख लोगों को फरवरी महीने के अंत तक जल संरक्षण संरक्षण के लिए काम पर लगा चुकी है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 29,135 जलाशयों को खोदा और पुनर्निर्मित किया गया है। पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल में जल धरो जल भरो परियोजना की शुरूआत 2011 में की गई थी। उसके बाद से सरकार योजना पर निरंतर काम करती रही जो राज्य की ग्रामीण आबादी के लिए वरदान साबित हुई। परियोजना का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना के तहत कई टैंकों, तालाबों, जलाशयों और नहरों का निर्माण किया गया है। परियोजना का एक प्रमुख बिंदू जलाशयों के निर्माण के लिए रोजगार प्रदान करना है। जो लोग नहरों की खुदाई में लगे हुए हैं, उन्हें सौ दिन रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत काम मिल रहा है।
मछली पालन और सिंचाई को बढ़ावा-
विभागीय अधिकारी ने बताया कि जल धरो जल भरो योजना के तहत बने जलाशयों का उपयोग मछली पालन और सिंचाई के लिए किया जाता है। 2,305 लघु सिंचाई परियोजनाओं की सहायता से, अब तक 74,606 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के तहत लाया गया है। योजना के परिणामस्वरूप बीरभूम, बांकुड़ा, पुरुलिया, झाडग़्राम और पश्चिम मिदनापुर जिलों के विशाल क्षेत्रों को सिंचाई के जल मिलना सुनिश्चित किया गया है। लघु सिंचाई परियोजनाओं की मदद से 25,319 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के तहत लाया गया है। इन जिलों में जल का सदुपयोग ने धान की खेती में वृद्धि और कई फलों के बाग लगाने में सहायक साबित हुआ है।

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