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हृदय का सफल प्रत्यारोपण करनेवाले चिकित्सकों को मुख्यमंत्री ने दी बधाई

locationकोलकाताPublished: Nov 18, 2018 10:25:46 pm

Submitted by:

Prabhat Kumar Gupta

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ सर्जन प्लावन मुखोपाध्याय सहित 10 सदस्यीय चिकित्सक मण्डली को बधाई दी है। चिकित्सकों ने शनिवार को पांच घंटे के अथक प्रयास से रानीगंज निवासी 38 वर्षीय राखाल दास के शरीर में सफलतापूर्वक हृदय का प्रत्यारोपण किया।

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हृदय का सफल प्रत्यारोपण करनेवाले चिकित्सकों को मुख्यमंत्री ने दी बधाई

-कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में हुआ है सफल प्रत्यारोपण

कोलकाता.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ सर्जन प्लावन मुखोपाध्याय सहित 10 सदस्यीय चिकित्सक मण्डली को बधाई दी है। चिकित्सकों ने शनिवार को पांच घंटे के अथक प्रयास से रानीगंज निवासी 38 वर्षीय राखाल दास के शरीर में सफलतापूर्वक हृदय का प्रत्यारोपण किया। उल्लेखनीय है कि देश में पहली बार किसी राज्य के सरकारी अस्पतालों में हृदय प्रत्यारोपण का यह पहला तथा कोलकाता में पांचवां मामला है। मुख्यमंत्री ने रविवार को कलकत्ता मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन तथा तृणमूल विधायक डॉ. निर्मल मांझी के मार्फत चिकित्सक मण्डली विशेषकर सर्जन प्लावन मुखोपाध्याय को बधाई संदेश भेजा है। ममता ने चिकित्सकों को और समर्पण भाव से इलाज करने का आग्रह किया है। सरकारी अस्पतालों के लिए यह पहली घटना है, इसलिए मुख्यमंत्री ने बधाई संदेश के जरिए चिकित्सकों का हौसला बढ़ाया है।
छह मिनट में एसएसकेएम से मेडिकल पहुंचा था हृदय-

एसएसकेएम अस्पताल में शुक्रवार को ब्रेन डेथ हुए 32 वर्षीय एक मरीज का संरक्षित हृदय को ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से महज छह मिनट में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया। इसके उपरांत डॉ. मुखोपाध्याय के नेतृत्व में 10 सदस्यीय चिकित्सक मण्डली सुबह 10 बजे ऑपरेशन में जुट गई थी। अपरान्ह 3 बजे सफलतापूर्वक हृदय का प्रत्यारोपण संभव हुआ। चिकित्सकों के अनुसार फिलहाल मरीज को संक्रमण से बचाना उनकी प्राथमिकता है। कारण संक्रमण के चलते ही पिछले दिनों एसएसकेएम अस्पताल में हृदय प्रत्यारोपण के बाद मरीज की मौत हो गई थी। डॉ. माझी ने पत्रिका को बताया कि मेडिकल काउंसिल ने 2017 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल को अंग प्रत्यारोपण का लाइसेंस दिया है। कोलकाता में हृदय प्रत्यारोपण की यह पांचवीं घटना है। इससे पहले कोलकाता के दो निजी अस्पतालों ने ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से ४ मरीजों को नया जीवन देने में सफलता हासिल की है।
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