बंगाल में निकायों के चुनाव में विपक्ष के खिलाफ ममता बनर्जी का बड़ा हथियार
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आगामी निकायों के चुनाव में विपक्षी पार्टियों को कड़ी शिकस्त देने के लिए बड़ा हथियार का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है।

कोलकाता.
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आगामी निकायों के चुनाव में विपक्षी पार्टियों को कड़ी शिकस्त देने के लिए बड़ा हथियार का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। पार्टी ने आमलोगों में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए ‘दीदी के बोलो’ कार्यक्रम की सफलता के बाद अब ‘हमें ममता पर गर्व’ नामक का कार्यक्रम शुरू करने का संकेत दिया है। ऑनलाइन पर इसके प्रचार की प्रक्रिया लगभग शुरू हो गई है। साइबर के क्षेत्र में लोगों खासकर युवा पीढ़ी की सक्रियता को ध्यान में रखते हुए तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने यह हथकंडा अपनाया है।
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से पार्टी के विधायक अपने क्षेत्र के अंतर्गत गांवों और प्रखंड स्तर पर जाएंगे। आमलोगों के बीच जाकर सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में बताएंगे। सरकारी योजना का लाभ लोगों को मिल रहा है या नहीं इसके बारे में जानकारी हासिल करने के साथ-साथ लोगों को उक्त योजनाओं का लाभ पाने का हकदार होने के बारे में ही बताएंगे।
तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने बताया कि 2011 में राज्य की सत्ता संभालने के बाद ममता बनर्जी की सरकार ने ग्रामीण जनता के हितों में ढेर सारी योजनाओं को चालू किया परंतु जोर-शोर से इसका प्रचार नहीं होने के कारण ग्रामीण जनता उक्त योजनाओं से अनभिज्ञ रहे। इसका लाभ राज्य की विपक्षी पार्टियों खासकर वाममोर्चा, कांग्रेस और भाजपा ने उठाया। पिछले लोकसभा चुनाव में ग्रामीण इलाकों में तृणमूल की हार इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
चुनाव के दौरान विपक्षी पार्टियों के नेता गांवों में जाकर लोगों में इस बात का भ्रम फैलाने लगे कि राज्य सरकार इनके लिए कुछ भी नहीं कर रही है। 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले ग्रामीण जनता में अपनी पैठ बनाए रखने के उद्देश्य से तृणमूल नेतृत्व में उक्त कार्यक्रम को राजनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग करने का मन बना लिया है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि मार्च के प्रथम सप्ताह से ही उक्त कार्यक्रम को लेकर पार्टी के विधायक कमर कस मैदान में उतरेंगे। विधायक कितने गांवों, कितने शहरों और प्रखंडों में जाएंगे इसका ‘टार्गेट’ भी दे दिया गया है। तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व का दावा है कि इससे एक तरफ विधायकों की निजी जनसम्पर्क में इजाफा होगा, वहीं दूसरी तरफ पार्टी को सांगठनिक रूप से लाभ भी पहुंचेगा।
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