कोलकाता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया है कि एक तरफ जहां केन्द्र सरकार ऐतिहासिक स्थानों के नाम तो बदल रही है, वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल राज्य का नाम बदलने संबंधी प्रस्ताव की अनदेखी कर रही है। ममता बनर्जी ने ट्विटर पर लिखा है कि केंद्र सरकार जानबूझकर देर कर रही है। राज्य विधानसभा में पिछले जुलाई में इससे संबंधित एक प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था। अब तक केन्द्र सरकार की ओर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। फलस्वरूप ममता बनर्जी केन्द्र सरकार से नाराज हैं।
ममता बनर्जी की सरकार प्रदेश का नाम बदलने के लिए दो बार पहले भी प्रस्ताव दे चुकी है। साल 2011 में जब राज्य सरकार ने राज्य का नाम पश्चिम बांग्ला करने का प्रस्ताव दिया था तब केंद्र सरकार ने इसे नामंजूर कर दिया था। फिर 26 अगस्त 2016 को राज्य सरकार ने एक और प्रस्ताव दिया कि बंगाल का नाम हिंदी में बंगाल, अंग्रेजी में बेंगाल और बंगाली में बांग्ला किया जाए। उस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार ने यह कहकर नामंजूर कर दिया कि राज्य के हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं में अलग अलग नाम रखना सही नहीं होगा।
ममता बनर्जी की सरकार प्रदेश का नाम बदलने के लिए दो बार पहले भी प्रस्ताव दे चुकी है। साल 2011 में जब राज्य सरकार ने राज्य का नाम पश्चिम बांग्ला करने का प्रस्ताव दिया था तब केंद्र सरकार ने इसे नामंजूर कर दिया था। फिर 26 अगस्त 2016 को राज्य सरकार ने एक और प्रस्ताव दिया कि बंगाल का नाम हिंदी में बंगाल, अंग्रेजी में बेंगाल और बंगाली में बांग्ला किया जाए। उस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार ने यह कहकर नामंजूर कर दिया कि राज्य के हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं में अलग अलग नाम रखना सही नहीं होगा।
पश्चिम बंगाल सरकार का तर्क है कि राष्ट्रीय कार्यक्रम या राष्ट्रीय स्तर की किसी बैठक में राज्य के प्रतिनिधि को बोलने का अवसर कार्यक्रम के अंत में आता है, क्योंकि यह सूची अंग्रेजी के वर्णमाला के तहत तैयार की जाती है। जिसमें पश्चिम बंगाल का क्रम डब्लयू होने से अंतिम में आता है। अगर पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर बांग्ला किया जाता है तो ऐसे कार्यक्रमों में अंग्रेजी के वर्णमाला के तहत बनने वाली सूची में बंगाल का नाम अरुणाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश और असम के बाद चौथे नंबर पर आएगा।