कोलकाता

ममता को डी.लिट की डिग्री सहीं या गलतः कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरिक्षत

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डी.लिट डिग्री दिए जाने को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो गई।

कोलकाताJan 12, 2018 / 09:57 pm

Ashutosh Kumar Singh

 

कोलकाता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर (डी.लिट) की मानद डिग्री दिए जाने को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो गई। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत बाद में फैसला सुनाएगी। गत गुरुवार को कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) की ओर से ममता को डी.लिट की उपाधि से नवाजा जा चुका है। राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्त ने याचिका के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह याचिका राजनीति से प्रेरित है और मीडिया में माइलेज लेने के लिए दायर की गई है। सीयू के वकील श्रीकांत मुखर्जी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसे डी.लिट की मानद उपाधि उपाधि दी जाए यह निर्णय लेने का अधिकार सीयू के सीनेट और सिंडिकेट को है। किसी बाहरी व्यक्ति को इसको चुनौती देने का प्राधिकार नहीं है। मुखर्जी ने कहा कि किसी की महानता और उपलब्धियां डी.लिट की मानद डिग्री की योग्यता के लिए पर्याप्त है। उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर रंजू गोपाल मुखोपाध्याय ने सीयू की ओर से मुख्यमंत्री ममता को डी.लिट की मानद डिग्री देने के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने जनहित याचिका दायर की है। मुखोपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि विश्वविद्यालय का ममता को यह उपाधि देने का निर्णय मनमाना और अपारदर्शी है। मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट में लगातार सुनवाई हुई। सीयू हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा था। गत गुरुवार दोपहर तक जब अदालत की ओर से कोई आदेश नहीं आया तब सीयू की ओर से ममता को डी.लिट की उपाधि से नवाज दिया। सीयू के कुलाधिपति व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने डी.लिट की डिग्री ममता के हाथों में सौंपी। डिग्री लेते हुए ममता काफी भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि वह इस सम्मान की हकदार नहीं है। वह कभी इस डिग्री का इस्तेमाल नहीं करेंगी। उन्होंने शोध के लिए सीयू को 100 करोड़ रुपए का अनुदान देने का ऐलान किया।

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