—– वित्त आयोग ने लिया इकताफा फैसला
पत्र में मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि वित्त आयोग ने जनसंख्या के आधार बदलने का फैसला बिना राज्यों की सहमति से लिया है। राज्यों से बातचीत नहीं की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि अपने गठन के तुरंत बाद से ही वित्त आयोग ने वित्तीय सिफारिशों के लिए वर्ष 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों का इस्तेमाल कर रहा है। आयोग के इस दिशा में काम करने से वे चिन्तित हैं। एेसा करने से बंगाल भारी रकम से वंचित होगा।
पत्र में मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि वित्त आयोग ने जनसंख्या के आधार बदलने का फैसला बिना राज्यों की सहमति से लिया है। राज्यों से बातचीत नहीं की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि अपने गठन के तुरंत बाद से ही वित्त आयोग ने वित्तीय सिफारिशों के लिए वर्ष 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों का इस्तेमाल कर रहा है। आयोग के इस दिशा में काम करने से वे चिन्तित हैं। एेसा करने से बंगाल भारी रकम से वंचित होगा।
प्रधानमंत्री को भेज गए पत्र में ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्यों से इसका गहरा संबंध होने के बावजूद 15 वें वित्त आयोग ने इस संबंध में राज्यों से संपर्क नहीं किया और अपने आप फैसला कर लिया। यह देश के संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है।
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पहले वाला तरीका अपनाएं मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से वित्तीय सिफारिशें करने के लिए पुराना तरीके अपनाने का आग्रह किया। पत्र में ममता बनर्जी ने लिखा है कि पिछले सभी वित्त आयोग राज्यों के लिए वित्तीय सिफारिश जारी करते समय राज्यों की ओर से मुहैया कराए गए जनसंख्या के आंकड़ों का इस्तेमाल करते थे। पहले वित्तीय आयोग की सिफारिशों में जनसंख्या को 80 प्रतिशत वैटेज दिया जाता था जो १४वें आयोग तक पहुंचते पहुंचते घटकर 27.5 प्रतिशत हो गया है।