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अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन ने मांगा राजनीतिक प्रतिनिधित्व

locationकोलकाताPublished: Mar 19, 2019 01:35:29 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

डकबैक हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस—बंगाल की राजनीति में हिंदी भाषियों और मारवाड़ी समाज की हैसियत पर मंथन

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अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन ने मांगा राजनीतिक प्रतिनिधित्व

कोलकाता. अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन ने राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग की है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में हिंदी भाषियों और मारवाड़ी समाज की हैसियत पर सोमवार को डकबैक हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया। सम्मेलन की राष्ट्रीय परामर्शदाता समिति के चेयरमैन सीताराम शर्मा, सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सर्राफ, संयुक्त सचिव दामोदर बिदावतक और संजय हरलालका की मौजूदगी में हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी ने एकमत से राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग पर जोर दिया। शर्मा ने बताया कि 1946 में द्वितीय विधानसभा गठन के समय मारवाड़ी सदस्यों की संख्या 5 थी। आजादी के बाद 1952 से 2006 तक 14 बार बंगाल में विधानसभा चुनाव हुए और इनमें लगातार मारवाड़ी प्रतिनिधियों में कमी आई। जबकि 1977 में कोई मारवाड़ी नहीं रहा। 1982, 87, 94 , 1996 में देवकीनंदन पोद्दार और राजेश खेतान निर्वाचित हुए। 2001 में एकमात्र सत्यनारायण बजाज और 2006 में 294 सदस्यीय बंगाल विधानसभा में एकमात्र मारवाड़ी विधायक दिनेश बजाज रहे। शर्मा ने कहा कि इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि 1952 की 5 की संख्या घटते-घटते 2006 में महज 01 हो गई। यही हाल संसद सदस्यों का भी है। 1952 से 2005 तक 50 साल से अधिक वर्षों में केवल एक मारवाड़ी विजयसिंह नाहर को ही बंगाल से 1977 में लोकसभा के लिए निर्वाचित होने का सौभाग्य मिला। बंगाल विधानसभा से 16 सदस्य राज्यसभा के लिए निर्वाचित होते हैं और वर्तमान में इन 16 सदस्यों में से एक भी सदस्य मारवाड़ी नहीं। १९५२ से २०१९ तक किसी भी मारवाड़ी या हिन्दी भाषा-भाषी को राज्यसभा में मनोनित नहीं किया गया। हिन्दी भाषा-भाषियों की हालत भी ऐसी ही है।
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