आंकड़ों के हवाले से उन्होंने कहा कि चीन, जापान, सिंगापुर, दोनों कोरिया आदि देशों की तरह रोबोट के संबंध में भारत में 10000 के मुकाबले महज 03 का अनुपात (10 हजार पर 3 रोबोट) है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जिस दिन भारत में मेडिकल क्षेत्र में रोबोट के इस्तेमाल को सरकारी मंजूरी मिल गई उस दिन कई जनरल फिजिशियन की सेवा पर तलवार लटक जाएगी। आज मानव से ज्यादा इमोशन किसी रोबोट/मशीन की है। आनेवाले समय में 2040 तक मशीनों का ज्ञान मानव को काफी पीछे छोड़ देगा। पिछले 200 साल में तकनीक, विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ज्यादा विकास हुआ है पूरी दुनिया में। क्या बदलना चाहिए और क्या नहीं? इसे खुद ही तय करना होगा। जैन ने उपस्थित सदस्यों के सवालों के जवाब देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया। सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सर्राफ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पारिवारिक व्यवसाय में परिवार के सभी सदस्यों को सम्मिलित करना आवश्यक है। सम्मेलन के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री सेमिनार उपसमिति के चेयरमैन शिवकुमार लोहिया ने विषय-प्रवर्तन किया। अगरवाला ने पारिवारिक व्यवसाय के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पारिवारिक व्यवसाय में सभी की भूमिका स्पष्ट होना अनिवार्य हो। उन्होंने संयुक्त परिवार के साथ भोजन करने पर जोर देते हुए कहा कि जब पावर-पोस्ट खत्म हो जाता है, तो इगो को ठेस लगती है। उन्होंने कहा कि योग्य व्यक्ति को सभी की सलाह से आगे लाना पारिवारिक व्यवसायों के लिए जरूरी है। व्यवसाय बढऩे के साथ प्रोफेशनल लोगों की मदद भी लेनी पड़ सकती है लेकिन अगर परिवार का व्यक्ति ही यह भूमिका निभा सके तो इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता। पारिवारिक व्यवसाय की किसी समस्या का रेडिमेड समाधान नहीं है।
राष्ट्रीय महामंत्री श्रीगोपाल झुनझुनवाला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सेमिनार उपसमिति के संयोजक दिनेश कुमार जैन ने आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाई। सम्मेलन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री गोपाल अग्रवाल, राजेन्द्र खण्डेलवाल, अमित मूंधड़ा, शरत झुनझुनवाला, गोपी किशन अग्रवाल, पवन अग्रवाल, अरूण जगतरामका, रवि लोहिया, सुरेन्द्र क्याल, पवन जैन, कुलदीप जैन, शिव रतन अगरवाला, गिरधारी लाल अगरवाला, अनिल जैन, राजेश कुमार पहाडिय़ा, प्रेमचंद सुरेलिया आदि मौजूद थे।