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‘शतरंज की तरह है फैमिली बिजनेस’

locationकोलकाताPublished: Jan 05, 2019 10:12:08 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

पारिवारिक व्यवसाय पर संगोष्ठी—अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन का आयोजन—– पारिवारिक व्यवसाय में बच्चों की रूचि बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक उपाय और नवीनता लाने पर जोर

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‘शतरंज की तरह है फैमिली बिजनेस’

कोलकाता. पारिवारिक व्यवसाय शतरंज की तरह है, जिसमें बीच में नियम बदल दिए जाते हैं। रोजगार देने में पारिवारिक व्यवसाय की अहम भूमिका है। कोई भी बिजनेस किसी खास वजह से नहीं, बल्कि पारिवारिक कारण से ही टूटता है। अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से शनिवार को शेक्सपीयर सरणी स्थित डकबैग हाउस कार्यालय में पारिवारिक व्यवसाय-बदलते परिदृश्य में अस्तित्व-संरक्षण विकास संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने यह टिप्पणी की। बतौर वक्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर के वक्ता, लेखक, पारिवारिक व्यवसाय विशेषज्ञ सीेए राजेश जैन और रूपा एण्ड कम्पनी के प्रबंध निदेशक कुंजबिहारी अगरवाला उपस्थित थे। जैन ने अपने संबोधन में कहा कि पारिवारिक व्यवसाय सबसे बड़े रोजगारदाता हंै और उद्यमिता के मूल में है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ पारिवारिक व्यवसायों को भी बदलना पड़ेगा। आज व्यवसायी वर्ग के बच्चे बाहर जा रहे हैं और वापस नहीं आना चाहते, क्योंकि पारिवारिक व्यवसायों के प्रति उनका रूझान कम होता जा रहा है। इसलिए पारिवारिक व्यवसायों में उनकी रूचि बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक उपाय, नवीनता लाने और बदलते समय के अनुकूल बनाना निहायत जरूरी है। एक कुशल डाटा विश्लेषक जैन ने कहा कि परिवार से बिजनेस बढ़े या नहीं, पर परिवार जरूर बढ़ेगा। आज बिजनेस में दिनोंदिन बढ़ती अत्याधुनिक टेक्नोलोजी के इस्तेमाल का हवाला देते हुए जैन ने कहा कि विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत आज बहुत पीछे है।
—–रोबोट पर भारत में 10,000 बनाम 03 का अनुपात
आंकड़ों के हवाले से उन्होंने कहा कि चीन, जापान, सिंगापुर, दोनों कोरिया आदि देशों की तरह रोबोट के संबंध में भारत में 10000 के मुकाबले महज 03 का अनुपात (10 हजार पर 3 रोबोट) है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जिस दिन भारत में मेडिकल क्षेत्र में रोबोट के इस्तेमाल को सरकारी मंजूरी मिल गई उस दिन कई जनरल फिजिशियन की सेवा पर तलवार लटक जाएगी। आज मानव से ज्यादा इमोशन किसी रोबोट/मशीन की है। आनेवाले समय में 2040 तक मशीनों का ज्ञान मानव को काफी पीछे छोड़ देगा। पिछले 200 साल में तकनीक, विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ज्यादा विकास हुआ है पूरी दुनिया में। क्या बदलना चाहिए और क्या नहीं? इसे खुद ही तय करना होगा। जैन ने उपस्थित सदस्यों के सवालों के जवाब देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया। सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सर्राफ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पारिवारिक व्यवसाय में परिवार के सभी सदस्यों को सम्मिलित करना आवश्यक है। सम्मेलन के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री सेमिनार उपसमिति के चेयरमैन शिवकुमार लोहिया ने विषय-प्रवर्तन किया। अगरवाला ने पारिवारिक व्यवसाय के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पारिवारिक व्यवसाय में सभी की भूमिका स्पष्ट होना अनिवार्य हो। उन्होंने संयुक्त परिवार के साथ भोजन करने पर जोर देते हुए कहा कि जब पावर-पोस्ट खत्म हो जाता है, तो इगो को ठेस लगती है। उन्होंने कहा कि योग्य व्यक्ति को सभी की सलाह से आगे लाना पारिवारिक व्यवसायों के लिए जरूरी है। व्यवसाय बढऩे के साथ प्रोफेशनल लोगों की मदद भी लेनी पड़ सकती है लेकिन अगर परिवार का व्यक्ति ही यह भूमिका निभा सके तो इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता। पारिवारिक व्यवसाय की किसी समस्या का रेडिमेड समाधान नहीं है।
——ये थे मौजूद
राष्ट्रीय महामंत्री श्रीगोपाल झुनझुनवाला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सेमिनार उपसमिति के संयोजक दिनेश कुमार जैन ने आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाई। सम्मेलन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री गोपाल अग्रवाल, राजेन्द्र खण्डेलवाल, अमित मूंधड़ा, शरत झुनझुनवाला, गोपी किशन अग्रवाल, पवन अग्रवाल, अरूण जगतरामका, रवि लोहिया, सुरेन्द्र क्याल, पवन जैन, कुलदीप जैन, शिव रतन अगरवाला, गिरधारी लाल अगरवाला, अनिल जैन, राजेश कुमार पहाडिय़ा, प्रेमचंद सुरेलिया आदि मौजूद थे।
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