मेडिकल वज्र्य से संक्रमण का खतरा
स्वास्थ्य व पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार मेडिकल वज्र्य जिस स्थान में फेंका जाता है वहां संक्रमण से लोगों को जानलेवा रोग होने का खतरा रहता है। मेडिकल वज्र्य हवा में हानिकारक वायरस, बैक्टेरिया फैलाते हैं। बारिश के दौरान पानी से होकर वायरस, बैक्टेरिया फैलते हैं। डॉक्टरों के अनुसार इस तरह के प्रदूषण से हेपेटाइटिस, टाईफाइड, कॉलेरा सहित कई रोग हो सकते हैं।
स्वास्थ्य व पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार मेडिकल वज्र्य जिस स्थान में फेंका जाता है वहां संक्रमण से लोगों को जानलेवा रोग होने का खतरा रहता है। मेडिकल वज्र्य हवा में हानिकारक वायरस, बैक्टेरिया फैलाते हैं। बारिश के दौरान पानी से होकर वायरस, बैक्टेरिया फैलते हैं। डॉक्टरों के अनुसार इस तरह के प्रदूषण से हेपेटाइटिस, टाईफाइड, कॉलेरा सहित कई रोग हो सकते हैं।
किस प्लास्टिक में रखा जाना चाहिए कौन सा वज्र्य
बायोमेडिकल वज्र्य नियम 2016 के अनुसार अस्पतालों में उत्पन्न कचरे को अलग-अलग किया जाना चाहिए और सरकार द्वारा अनुमोदित एजेंसियों को वैज्ञानिक तरीके से निपटाने के लिए सौंप दिया जाना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अलग-अलग वज्र्य रखने के लिए अलग अलग प्लास्टिक तय किए गए हैं।
बायोमेडिकल वज्र्य नियम 2016 के अनुसार अस्पतालों में उत्पन्न कचरे को अलग-अलग किया जाना चाहिए और सरकार द्वारा अनुमोदित एजेंसियों को वैज्ञानिक तरीके से निपटाने के लिए सौंप दिया जाना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अलग-अलग वज्र्य रखने के लिए अलग अलग प्लास्टिक तय किए गए हैं।
पीली थैली – इसमें शरीर के अंग, ऑपरेशन के बाद के वज्र्य और सूती कचरे को डाला जाता है। सफेद थैली – इसमें ब्लेड, सीरिंज सहित धारदार उपकरणों को रखा जाता है।
लाल थैली – प्लास्टिक और रबड़, ट्यूब, दस्ताने लाल थैली में रखे जाते हैं।
लाल थैली – प्लास्टिक और रबड़, ट्यूब, दस्ताने लाल थैली में रखे जाते हैं।
नीली थैली– नीले थैले में धातु प्रत्यारोपण, कांच के उपकरण और स्लाइड रखे जाते हैं। अस्पताल अधीक्षक बोले कोई जानकारी नहीं
कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक इंद्रनील विश्वास ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी। मेडिकल वज्र्य का निपटान सही जगह पर हो इसके लिए ३ सदस्यीय कमेटी बनाई जा रही है। यह कमेटी इस पर नजर रखेगी कि भविष्य में ऐसी घटना न हो।
कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक इंद्रनील विश्वास ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी। मेडिकल वज्र्य का निपटान सही जगह पर हो इसके लिए ३ सदस्यीय कमेटी बनाई जा रही है। यह कमेटी इस पर नजर रखेगी कि भविष्य में ऐसी घटना न हो।
सफाईकर्मी भी जानकारी से बेखबर कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से मेडिकल वज्र्य को क्लीन सिटी तक ले जाने वाले सफाईकर्मी भी जानकारी से बेखबर नजर आए। उन्हें पता ही नहीं कि अलग अलग रंग के थैलियों का वज्र्य अलग अलग फें का जाना जाएगी। वज्र्य ले जाने वाले सफाई कर्मी ने कहा कि उसे कुछ नहीं बताया गया। वो वज्र्य लाकर सीधे क्लीन सिटी में फेंक देते हैं।