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‘रोगी की हर बात अच्छी तरह सुनने वाला ही कुशल डॉक्टर’

locationकोलकाताPublished: Nov 17, 2018 10:23:57 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

एडवांस्ड क्लिनिकल मेडिसीन पर 5वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मेडिकॉन—– मेडिकल क्षेत्र में चीजों को समग्र रूप से देखने पर विशेषज्ञों ने दिया जोर

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‘रोगी की हर बात अच्छी तरह सुनने वाला ही कुशल डॉक्टर’

कोलकाता. रोगी की हर बात अच्छी तरह सुनने वाला ही कुशल डॉक्टर होता है। टेक्नोलोजी-साइंस तेजी से बदलती है लेकिन ज्ञान-अनुभव मेडिकल संस्थान में प्रवेश करने के दिन से लेकर कॅरियर के अंत तक जारी रहता है। भारत की आबादी दुनिया की कुल जनसंख्या का 17.74 फीसदी के बराबर है और इतनी बड़ी आबादी के साथ सभी के सेहत की देखभाल की समस्याएं बहुत ज्यादा है। मेडिकल साइंस में तरक्की हुई है, साथ ही मृत्यु दर में भी काफी कमी आई है। गलत चिकित्सा के कारण समय-समय पर आबादी के कारण समस्याएं बढ़ जाती हैं, जिसपर रोक लगाना डॉक्टरों का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। पीयरलेस अस्पताल एंड बीके रॉय फाउंडेशन, रॉयल कॉलेज ऑफ फिजीशियन्स ऑफ एडिनबर्ग (यूके) के संयुक्त तत्वावधान में एसोसिएशन ऑफ फिजियंस ऑफ इंडिया (वेस्ट बंगाल चैप्टर) के सहयोग से एडवांस्ड क्लिनिकल मेडिसीन पर 5वे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन-मेडिकॉन 2018 के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने यह टिप्पणी की। महानगर के एक होटल में शनिवार को संपन्न दो दिवसीय सम्मेलन में पीजी मेडिकल छात्रों, विशेषज्ञों, सामान्य चिकित्सकों और स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित अन्य लोगों ने भाग लिया। पीयरलेस अस्पताल के प्रबंध निदेशक-सह-बीके रॉय फाउंडेशन और मेडिकॉन इंटरनेशनल के संरक्षक डॉ. सुजीत कर पुरकायस्थ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सम्मेलन का मकसद ज्ञान के हस्तांतरण के बारे में जानकारी देना था।
देश के भीतर और बाहर से वक्ताओं, प्रशिक्षु डॉक्टरों को एक मंच पर लाना था जहां वे एक विशिष्ट क्षेत्र में विशेषज्ञों को सुन सकते हैं। ब्रीच कैंडी अस्पताल, मुंबई के आईसीयू के डायरेक्टर मुंबई विश्वविद्यालय के प्रख्यात चिकित्सक एमडी डॉ. फारूक उडवाडिया ने कहा कि दुर्भाग्य से आज दवा विभाजित हो गई है और डॉक्टर एक रोगी के हिस्सों को पूरी तरह से नहीं देखते हैं। यह बेहद शर्मनाक और अफसोसजनक है। मेडिकल क्षेत्र में चीजों को समग्र रूप से देखना और उन्हें उन मनुष्यों के रूप में देखना बहुत महत्वपूर्ण हैं। उडवाडिया सरकार के सलाहकार चिकित्सक सहित महाराष्ट्र और एमरिटस मेडिसिन के प्रोफेसर, ग्रांट मेडिकल कॉलेज और जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल से भी जुड़े हैं। ब्रिटेन के एडिनबर्ग के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजियंस के उपाध्यक्ष डॉ. दीपक द्वारकानाथ ने कहा कि रॉयल कॉलेज ऑफ फिजीशियन, एडिनबर्ग पिछले कई साल से इस चरह के सम्मेलन के साथ गठबंधन है। सामान्य विशेषज्ञों और विशेषज्ञों के बीच बहुत सारे ज्ञान का आदान-प्रदान है। उन्होंने कहा कि मेडिकल पेशे में त्रुटियों के कारण कोई काम करने के लिए नहीं जाता, बल्कि सभी रोगी के लिए सबसे अच्छा प्रयास करते हैं। अगर कोई त्रुटि है, तो उसे ईमानदारी, खुलेपन से निपटाया जाना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड, लोगान अस्पताल में चिकित्सा और आपातकालीन देखभाल के डिवीजनल डायरेक्टर डॉ. ब्रायन वुड ने मेडिकल पेशे में खामियों के बारे में कहा कि मानवीय भूल संभव है। लेकिन चिकित्सा पेशेवरों के प्रति कोई भी हिंसा स्वस्थ नहीं माना सकता। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ भारत में हिंसा की घटनाएं हुई हैं, ऐसे कार्यों का यूके और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में कोई स्थान नही। रोगी की देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे उपभोक्ता हैं।
—–मानवीय स्पर्श बनाए रखने, दिमाग और दिल का उपयोग पर जोर
उडवाडिया ने श्यामल सेन मेमोरियल ऑरेशन में मेडिसिन की कला को न भूलना, मानवीय स्पर्श को बनाए रखने और मस्तिष्क को सुनने, महसूस करने के लिए दिमाग और दिल का उपयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मेडिकल साइंस में शानदार प्रगति हुई है लेकिन इस क्षेत्र में एक अजीब अविश्वास और भ्रम रहा है। इससे पहले इस पेशे को उच्च सम्मान में देखा गया था लेकिन अब ऐसा नहीं है। दवा की अच्छी कला का अभ्यास करने के लिए, एक डॉक्टर को रोगी की हर बात अच्छी तरह से सुनना चाहिए, रोगी से अस्पष्ट संकेतों को समझना, रोगी को अच्छी तरह से पूछताछ करने की कला का अभ्यास करना और शारीरिक परीक्षा की कला का अभ्यास करना और सही निदान पर पहुंचने के लिए अच्छे निर्णय के कौशल सीखना ही एक बेहतर डॉक्टर की पहचान है। डॉ. जेम्स विलियमसन, फोर्टीस अस्पताल नई दिल्ली के हेपोटोलोजी, के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर एसके आचार्य, डॉॅ. ए. कोनार, डॉ. अंजनलाल दत्ता और डॉ. देवाशीष दत्ता ने भी संबोधित किया।

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