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60 सेकंड में नदी पार करेगी मेट्रो!

locationकोलकाताPublished: Dec 15, 2017 10:19:53 pm

यदि सब कुछ ठीक रहा, तो दिसंबर, 2019 में देश में पहली बार कोलकाता में किसी नदी (हुगली) के नीचे सुरंग से मेट्रो ट्रेन गुजरेगी

Metro train

शिशिर शरण राही/निर्मल मिश्रा

कोलकाता. यदि सब कुछ ठीक रहा, तो दिसंबर, 2019 में देश में पहली बार कोलकाता में किसी नदी (हुगली) के नीचे सुरंग से मेट्रो ट्रेन गुजरेगी। ब्रेबोर्न रोड, पोस्ट ऑफिस सहित फूलबागान से सियालदह तक ईस्ट-वेस्ट मेट्रो का काम पूर्ण होने के बाद ईस्ट-वेस्ट मेट्रो का निर्माण कार्य कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) की ओर से काफी तेज गति से जारी है।


हुगली के किनारे 2 छोरों पर बसे हावड़ा मैदान को साल्टलेक सेक्टर-5 से जोडऩे के लिए हुगली नदी के नीचे 1६.6 किमी लंबी मेट्रो सुरंग का काम पिछले वर्ष अप्रेल में शुरू हुआ था।


कोलकाता को ही १९७२ में देश की सबसे पहली मेट्रो चलाने का गौरव हासिल हुआ था और अब यह श्रेय भी कोलकाता को ही मिलेगा कि पहली बार किसी नदी के नीचे से गुजरने वाली देश की पहली मेट्रो भी यहीं चलेगी। करीब ८९९६ करोड़ की लागत वाली 16.6 किमी लंबे ईस्ट-वेस्ट मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत हुगली के नीचे सुरंगें खोदने वाली जर्मनी की टनेल बोरिंग 2 मशीनें ‘रचना’ और ‘प्रेरणा’ अपने कार्य को तेजी से अंजाम देने में जुटी हैं।

केएमआरसीएल के महाप्रबंधक (प्रशासन) एके नंदी ने राजस्थान पत्रिका को दिए एक विशेष साक्षात्कार में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ब्रेबोर्न रोड, पोस्ट ऑफिस सहित फूलबागान से सियालदह तक मेट्रो का पूर्ण हो चुका है और काफी तेज गति से काम जारी है।


बीएसएनएल , केएमसी, सीईएससी, सेना, कोलकाता/हावड़ा पुलिस और अदालत आदि सरकारी संस्थानों की ओर से हरसंभव सहयोग उपलब्ध कराने के लिए इनके प्रति नंदी ने आभार जताया।

विरासती इमारतों को नहीं होगा नुकसान
इन सुरंगों का एक अहम पहलू यह है कि ये सुरंगें ऐसी 3-3 इमारतों से 100 मीटर से भी कम दूरी से गुजरेंगी, जिन्हें धरोहर का दर्जा प्राप्त है। इस वजह से इन सुरंगों के लिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण से अनुमति जरूरी थी, जो पहले ही मिल गई। आईआईटी खडग़पुर ने अध्ययन कर यह प्रमाणित किया कि जिन तरीकों से काम हो रहा है, उससे धरोहर कही जाने वाली इमारतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। 520 मीटर लंबी और 30 मीटर गहरी दोहरी सुरंग का निर्माण हुगली नदी के तल से 30 मीटर नीचे किया गया है। हावड़ा और महाकरण मेट्रो स्टेशन के बीच 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से इस सुरंग से मेट्रो गुजरेगी।

बेटियों के नाम पर बोरिंग मशीनें ‘रचना’ और ‘प्रेरणा’
सुरंगें खोदने वाली 90 मीटर लम्बी जर्मनी की बोरिंग मशीनें ‘रचना’ और ‘प्रेरणा’ के नाम सडक़ हादसे में मारे गए एक प्रोजेक्ट अधिकारी की बेटियों के नाम पर रखे गए हैं। इन मशीनों को हिस्सों के रूप में जर्मनी से लाया गया था और यहां लाकर उन्हें जमीन के नीचे जोड़ा गया (असेम्बल)। रचना को हुगली नदी के पार पहुंचाने में एक महीने से भी ज्यादा वक्त लगा था। फिलहाल यात्रियों की सुरक्षा के लिए बेहतरीन प्रबंध किए जा रहे हैं। इस समय सुरंग को तैयार करने के दौरान कंक्रीट के खास सेक्शनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनमें पानी से संपर्क में आते ही फैल जाने वाले विशेष गास्केट लगे हैं। ऐसा किसी भी संभावित लीकेज के खतरे को दूर करने के लिए किया गया है।

यात्रियों के बचाव के लिए सुरंग में वॉकवे
16.6 किमी के ईस्ट-वेस्ट मेट्रो प्रोजेक्ट में 10.6 किमी लंबी सुरंग है और इसमें से 520 मीटर हिस्सा नदी के नीचे है। किसी भी आपात स्थिति में यात्रियों के बचाव के लिए सुरंग में वॉकवे (पैदल पथ) होंगे। हावड़ा छोर पर सुरंगों को खोदने का काम अप्रेल के अंत में शुरू हुआ था। हुगली नदी के नीचे से होकर जाने वाली मेट्रो को इस सुरंग को पार करने में 60 सेकंड का वक्त लगेगा।

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