scriptबस मालिकों का आंदोलन | movement of the Bus owners | Patrika News

बस मालिकों का आंदोलन

locationकोलकाताPublished: Nov 13, 2018 11:17:33 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

कोलकाता प्रसंगवश

kolkata

बस मालिकों का आंदोलन

बस किराया बढ़ाने को लेकर निजी बस मालिक एक बार फिर कोलकाता समेत आसपास के जिलों में आंदोलन पर उतरे हैं। बस मालिकों के संगठन ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट का दावा है कि जिस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी रही हैं, उस अनुपात में बस किराया नहीं बढ़ रहा है। अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए बस मालिकों ने लगातार तीन दिनों तक सांकेतिक हड़ताल की। इसके तहत सुबह और शाम केवल कार्यालय समय के दौरान ही अपनी बसें सड़कें पर उतारीं। आंदोलन के पहले दिन कोलकाता और आसपास के इलाकों में आंदोलन का आंशिक असर देखा गया। महानगर कोलकाता, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा और हुगली की सड़कों पर सुबह आठ से 11 बजे और शाम चार से सात बजे तक ही बसें चलीं। इस कारण आम लोगों को थोड़ी परेशानी हुई। हालांकि महानगर सहित अन्य इलाकों में इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। जिलों में आंशिक प्रभाव देखा गया। सड़कों पर बसों की संख्या कम होने के कारण सरकारी, निजी तथा मिनी बसों में यात्रियों की भीड़ रही। अन्य दिनों के मुकाबले ट्रेनों में अधिक भीड़ देखी गई।
ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन बनर्जी का कहना है कि गत 11 जून को बस किराया बढ़ाए जाने के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जबकि किराया नहीं बढ़ रहा है। इस कारण बस चलाने का खर्च बढ़ता जा रहा है। मालिकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण हमने सरकार से बस किराया बढ़ाने की मांग की है। संगठन ने किराया बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को 24 अक्टूबर तक की मोहलत दी थी। राज्य सरकार ने न तो उनकी मांग मानी और न ही उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया, इसलिए बाध्य हो कर हमें लगातार तीन दिनों तक सांकेतिक हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ा। तपन बनर्जी का कहना कि यदि इसके बाद भी सरकार बस किराया बढ़ाने की उनकी मांग पर गौर नहीं करेगी तो वे वृहद आंदोलन करेंगे। बस संगठन से जुड़े लोगों ने महानगर की सड़कों पर प्रदर्शन किया, सरकार से खासकर परिवहन विभाग से अपनी जायज मांगों पर विचार करने की अपील की।
बस मालिकों के आंदोलन को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। बस मालिकों ने उचित तरीके से अपनी जायज मांगों को उठाने की कोशिश की है। सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए। सरकार को आम आदमी की जेब के साथ बस मालिकों के बढ़ते खर्च का भी ख्याल रखना चाहिए। सरकार को ऐसा हल निकालना चाहिए ताकि किसी को परेशानी का सामना करना नहीं पड़े। राज्य के परिवहन विभाग को बीच का कोई रास्ता निकालने का प्रयास करना चाहिए।
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