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विज्ञान पर आध्यात्मिक अंकुश, तो मानवता के लिए वरदान और निरंकुश तो तबाही—मुनि कमलेश

locationकोलकाताPublished: Oct 21, 2018 09:20:49 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

मुनि कमलेश की महावीर सदन में धर्मसभा

kolkata

विज्ञान पर आध्यात्मिक अंकुश, तो मानवता के लिए वरदान और निरंकुश तो तबाही—मुनि कमलेश

कोलकाता. विज्ञान पर आध्यात्मिक अंकुश रहेगा तो विकास का काम करेगा, मानवता के लिए वरदान बनेगा और यदि विज्ञान निरंकुश बना तो तबाही-विनाश का खुला निमंत्रण देगा। महापुरुषों के आत्म चिंतन के आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से ही विज्ञान खोज कर रहा है और वर्तमान वैज्ञानिकों के शोध में आध्यात्मिक ग्रंथ ऑक्सीजन से महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। दूसरी तरफ विज्ञान के शोध की कसौटी पर शत प्रतिशत खरे उतर रहे हैं प्रामाणिक होकर जो जनता में आस्था को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने रविवार को महावीर सदन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह बात कही। जैन संत ने कहा कि आने वाली पीढ़ी के सामने ग्रंथ और पंथ के बजाय वैज्ञानिक ढंग से आध्यात्मिक सिद्धांतों को प्रस्तुत किया जाए तो सर्वमान्य होगा और तर्क रहित होगा। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों के ग्रंथ पंथ उपासना और महापुरुष अलग-अलग हैं। उसमें युवा पीढ़ी भ्रमित होकर भटक रही है, दिशाहीन हो रही है। सभी धर्म की मान्यता अलग-अलग है, लेकिन विज्ञान को नकारने की ताकत किसी में नहीं। वह जो प्रस्तुत करता है सर्वमान्य होता है जो बातें हजारों साल पहले महापुरुषों ने आध्यात्मिक ज्ञान के सहारे हमारे सामने प्रस्तुत की वही बातें आज विज्ञान स्वीकार कर उनको अपनाने की वकालत कर रहा है। जैसे पेड़ बचाओ, पानी बचाओ, पृथ्वी बचाओ। जैन संत ने कहा कि महापुरुषों ने धर्म को शिव-स्वर्ग-मोक्ष से नहीं जुड़ा बल्कि वर्तमान जीवन को जीने की शैली का मार्ग प्रशस्त किया, जिसमें आत्मा की रक्षा संस्कृति-संस्कार और पर्यावरण की रक्षा चरित्र निर्माण का खजाना है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान के सहारे हिंदुस्तान पुन: विश्व गुरु बनेगा। योग को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करना इसकी शुरुआत है। संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से अहिंसा दिवस मनाना हमारी बहुत बड़ी विजय है। सभी धर्मों के आध्यात्मिक ग्रंथों को लेकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करते हुए समान शिक्षाओं को विज्ञान से जनता के सामने प्रस्तुत करना होगा तभी सद्भाव का निर्माण होगा। रिश्ते मजबूत होंगे तथा धर्म का सही स्वरूप जनता के सामने आने से धर्मांधता कट्टरता का अंत होगा। संस्कार ज्योति समाचार पत्र के संस्थापक-संपादक दलीचंद वीरवाल जैन ने कहा कि वर्तमान में पत्रकार जगत के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। उन्हें आध्यात्मिक शिक्षाओं को युवा पीढ़ी के सामने प्रस्तुत करना होगा। 14 विषयों में एमए डिग्री प्राप्त धर्मेंद्र कुमार मेहता ने बताया कि विश्व को विनाश से बचाना है, तो आध्यात्मिकता को अपनाना होगा। डॉक्टर भगवान लाल भल्ला ने कहा कि पुस्तक ज्ञान के साथ अनुभव का ज्ञान जोड़ दिया जाए तभी सर्वांगीण विकास संभव है। वीणा जैन ने गुरु भक्ति का गीत प्रस्तुत किया। महावीर सदन की ओर से अक्षयचंद भंडारी, जीएस पीपाड़ा, मांगीलाल जैन, कमल भंडारी, लीला कटारिया, मंजू भंडारी और डॉ. निर्मला पीपाड़ा ने स्वागत किया।
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