शिक्षा प्रणाली संस्कार विहीन शिक्षा प्रणाली संस्कार विहीन है। दूरदर्शन और फिल्में हिंसा, अराजकता, उद्दंडता, उच्छृंखलता जिस प्रकार परोस रही हैं वह बाल जीवन में जहर घोल रही है और उसी से अपराध, हिंसा, बलात्कार जैसी घटनाओं की बाढ़ आ रही है। दैनिक जीवन शैली में आध्यात्मिकता के साथ हमारा सौतेला व्यवहार बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिवाजी, महाराणा प्रताप आदि महापुरुषों के निर्माण में जीजामाता के संस्कार ऑक्सीजन से बढक़र काम आए। महापुरुषों के आदर्श में जीवन को आत्मसात किए बिना मनुष्य धन, वैभव, सत्ता और संपत्ति 3 काल में भी सुख-शांति प्रदान नहीं कर सकता। एक ओर जहां पूरी दुनिया हिंदुस्तान के आध्यात्मिकता का लोहा मानकर उसे अपनाने में आनंद महसूस कर रही है, वहीं हमारा दुर्भाग्य है उनके वमन को हम चाटते हुए गौरान्वित महसूस हो रहे हैंं। कौशल मुनि ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। जन्म कल्याणक पर लड्डू का प्रसाद वितरित किया गया। महिला मंडल की ओर से 14 सपनों का नाटिका श्वेता, राजेश घोड़ावत ने प्रस्तुत की। संचालन डॉक्टर जीएस पीपाड़ा ने किया।