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‘परमात्मा मंदिर-मस्जिद में कैद नहीं, हमारे अंदर’

locationकोलकाताPublished: Nov 18, 2018 10:43:51 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

जैन दिवाकर गुरु चौथमल की 142वी जयंती—महावीर सदन में धर्मसभा

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‘परमात्मा मंदिर-मस्जिद में कैद नहीं, हमारे अंदर’


कोलकाता. परमात्मा किसी मंदिर, मस्जिद, चर्च में कैद नहीं, बल्कि वह तो हमारे अंदर बैठा हुआ है। वह किसी की न तो बपौती और न ही किसी की ठेकेदारी है। उसके नाम पर लडऩे वाले अपनी अज्ञानता का प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने रविवार को जैन दिवाकर गुरु चौथमल महाराज की 142वी जयंती पर महावीर सदन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कस्तूरी हिरण की नाभि में होती है, पर वह उससे अनजान बना हुआ उसको पाने के लिए बाहर भटकता रहता है, ठीक इसी प्रकार हमारी अंतरात्मा में परमात्मा का विराट रूप समाया है। उसको जगाने के बजाय उसको पाने के लिए जिंदगी भर मनुष्य भी भटकता रहता है और यही उसकी अज्ञान दशा है। मुनि ने कहा कि परमात्मा को पाने के लिए अनंत काल तक बाहर इंसान भटकता रहेगा। समय, शक्ति और पैसा कितना भी लगा देगा पर प्राप्त नहीं कर पाएगा। जैन संत ने कहा कि जिस प्रकार पत्थर से आवरण हटते ही प्रतिमा बन जाती है वैसे ही आत्मा पर लगे कर्मों के आवरण को ज्ञान और साधना के माध्यम से हटाने पर हमारी आत्मा ही परमात्मा के रूप में परिवर्तित हो जाती है। उन्होंने कहा कि हमें परमात्मा को खोजना नहीं बल्कि सम्यक पुरुषार्थ के आधार पर आंतरिक शक्ति को जगाना है। सभी महापुरुषों ने अपनी संपूर्ण ऊर्जा अंतर्मुखी बनने में लगाई है और हम बाहरमुखी बनकर विषय-वासना और इंद्रियों के गुलाम बनकर अपने लक्ष्य की पूर्ति कदापि नहीं कर सकते। मुनि ने कहा कि जो अपनी आत्मा को नहीं समझ पाता वह परमात्मा को क्या समझेगा? उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्राणी में जब तक परमात्मा का स्वरूप नजर नहीं आएगा तब तक सारी धार्मिक क्रियाएं निरर्थक हैं और ये कर्म बंधन का कारण बनेंगी। जयंती के उपलक्ष में दिव्यांगों की सेवा के लिए दानदाताओं ने राशि प्रदान की। महिला मंडल ने गुरु भक्ति का गीत प्रस्तुत किया। कौशल मुनि ने मंगलाचरण, घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए। संघ के मंत्री डॉक्टर जीएस पीपाड़ा ने समारोह का संचालन किया।
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