भ्रष्टाचार आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक-मुनि
कोलकाताPublished: Nov 22, 2018 10:46:25 pm
महावीर सदन में धार्मिकता और भ्रष्टाचार पर सेमिनार
भ्रष्टाचार आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक-मुनि
कोलकाता. भ्रष्टाचार आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है। देश और विश्व में भ्रष्टाचार कैंसर जैसी बीमारी से भी ज्यादा तेजी से पांव पसारता जा रहा है और इसकी जड़ें दिनोंदिन गहरी होती जा रही है। दुनिया को आध्यात्मिक ज्ञान की दुहाई देने वाले देश में आज भ्रष्टाचार का ***** नाच एक कलंक और सभी समाज के लिए शर्मनाक घटना है। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने गुरुवार को महावीर सदन में यह बात कही। जैन दिवाकर चौथमल महाराज की जयंती पर धार्मिकता और भ्रष्टाचार पर सेमिनार को संबोधित करते हुए मुनि ने कहा कि भ्रष्टाचार और धार्मिकता में 36 का आंकड़ा है। जिस देश में कदम-कदम पर मंदिर, मस्जिद, चर्च गुरुद्वारे तथा लाखों संतों के सत्संग, धर्मकथा की बाढ़ सी आ रही है फिर भी भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं इससे बड़ा अपने हाथों महापुरुषों का अपमान और कोई नहीं हो सकता। भ्रष्टाचार मुक्त मानवता ही धर्म में प्रवेश हो सकता है। नैतिकता के अभाव मे धार्मिक कर्मकांड मात्र पाखंड है और ऐसे मानव को धार्मिक तो क्या इंसान कहलाने का अधिकार भी नहीं? उन्होंने कहा कि हमारे यहां स्वार्थ पहले नंबर पर और देश दूसरे नंबर पर है। देश के प्रति समर्पण भावना नहीं होने से भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच रहा है। रिश्वत लेने वाला जितना दोषी है उतना ही दोषी देने वाला भी, वह पाप का भागीदार है। धार्मिक-सामाजिक, राजनीतिक, व्यापार यहां तक की खून के रिश्ते में भी भ्रष्टाचार ने सबको शिकंजे में जकड़ लिया है। जैन संत ने कहा कि अतिक्रमण कर अनैतिकता से जमीन को कब्जे में लेकर उसके ऊपर धर्मस्थल बनाना भी भ्रष्टाचार है। उस स्थान पर की गई इबादत प्रार्थना कभी भगवान स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि इससे बढक़र दुर्भाग्य और क्या हो सकता कि नेताओं को भी अपना काम निकलवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती हो? चुनाव प्रणाली भ्रष्टाचार का मूल कारण है और चुनाव आयोग भी उनके सामने असहाय नजर आता है। देश के भाग्य निर्माता का नारा लगाने वाले ने देश को जितना लूटा उतना शायद अंग्रेजों ने भी नहीं। मुनि ने कहा कि यदि देश के नेता अपनी संपूर्ण संपत्ति देश के नाम पर कर दें तो कल ही देश कर्जमुक्त हो जाए। किसी भी राजनीतिक दल में भ्रष्टाचार के खिलाफ इच्छा शक्ति नहीं है। भ्रष्टाचारी से बढक़र और कोई देश का दुश्मन नहीं हो सकता।धर्माचार्य यदि घोषणा कर दें कि भ्रष्टाचार का पैसा ***** का पैसा है तो उसे धर्मस्थल के अंदर स्वीकार नहीं किया जाएगा। जापान जैसी देशभक्ति का जज्बा और स्वाभिमान भारतवासियों में पैदा करना होगा। उन्होंने कहा कि अनीति के अन्न से ही बुद्धि भ्रष्ट होती है। नैतिक जीवन जीने वाले मांगीलाल जैन, शिक्षा की क्रांति लाने वाली ममता जैन का महावीर सदन की ओर से अभिनंदन किया गया। घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए और कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया।