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‘संत और पानी मानवता के लिए वरदान’

locationकोलकाताPublished: Nov 24, 2018 10:44:27 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

चातुर्मास समाप्ति पर धर्मसभा

kolkata

‘संत और पानी मानवता के लिए वरदान’


कोलकाता. संत और पानी दोनों ही मानवता के लिए वरदान हैं। बहता हुआ पानी निर्मल रहता है और जहां जहां से गुजरता है वहां के इलाके को हरा-भरा कर देता है। यदि वही पानी एक जगह भरा रहे तो दुर्गंध होगा, बीमारियां पैदा करेगा वैसे ही संत भी निरंतर जिन-जिन क्षेत्रों में जाएंगे जनमानस में वरदान स्वरूप बनेगा और यदि एक स्थान पर रुक गए तो आसक्ति-ममता के बंधन में बंध जाएंगे। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने शनिवार को चातुर्मास समाप्ति पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह बातें कही। मुनि ने कहा कि संत यदि एक स्थान पर रुक गए तो विषय वासना और विकार से ग्रसित होकर पतन की संभावना बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि मठ संस्कृति की कल्पना किसी महापुरुष ने नहीं की। धरती ही आसन और आसमान छत है। भगवान महावीर ने संतों के लिए कठोर आचार संहिता का निर्माण किया। चाहे सर्दी हो या गर्मी संत सैनिक की तरह अशांत क्षेत्रों में जाकर प्रेम-सद्भाव की सरिता बहाए। मुनि ने कहा कि चरैवेति-चरैवेति सिद्धांत का पालन करने वाला ही सच्चा धार्मिक होता है। कड़ाके की सर्दी में जैसे सैनिक माइनस डिग्री में भी अपनी ड्यूटी निभाता है वैसे ही संत को भी अपनी भूमिका के बारे में विचार करना होगा। विलासिता और साधु जीवन में 36 का आंकड़ा है। जैन संत ने कहा कि सोना और माटी जिसकी निगाह में समान होता है, वह किसी भी परंपरा का संत हो विश्व पूज्य बनता है। लाखों संत होने के बावजूद भी बुराइयों का ***** नाच सबके लिए करारा तमाचा है। पुलिस खड़ी है और चोरी होती है तो वे उस अपराध के भागीदारी माने जाएंगे। वैसे ही संतों की मौजूदगी में उनके सामने अनीति होना गंभीर चिंता का विषय है। विदाई समारोह में पदयात्रा करते हुए चातुर्मास समिति के अध्यक्ष अक्षयचंद भंडारी के निवास पर धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हुई। संपूर्ण समाज की ओर से मुनि को चादर, शॉल ओढ़ाकर नागरिक अभिनंदन किया गया। कौशल मुनि ने मंगलाचरण, घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए और महिला मंडल ने विदाई गीत प्रस्तुत की।

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