‘झूठे आरोपों का शिकार हो केंद्रीय जेलों में नारकीय जीवन जी रहे निर्दोष पुरुष’
कोलकाताPublished: Nov 19, 2018 10:27:48 pm
अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस पर सेमिनार पर बोले मुनि कमलमुनि कमलेश
‘झूठे आरोपों का शिकार हो केंद्रीय जेलों में नारकीय जीवन जी रहे निर्दोष पुरुष’
कोलकाता. केंद्रीय जेलों में कई निर्दोष पुरुष झूठे आरोपों का शिकार हो नारकीय जीवन जी रहे हैं। पुरुष का आत्मसम्मान तक सुरक्षित नहीं बचा। मुनि कमलमुनि कमलेश ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। मुनि ने कहा कि आज भी देश में वर्तमान परिस्थिति में पुरुष को दूसरे नंबर के दर्जे के रूप में जीने को मजबूर होना पड़ रहा है और आज उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। कभी न्याय नहीं तो कभी कानून और न्याय व्यवस्था में भी उसके साथ सौतेला व्यवहार हो रहा, जिससे प्रताडि़त होकर अपमान का घूंट पी जिंदगी और मौत के बीच संघर्षों से पुरुष जूझ रहा है। मुनि ने कहा कि किसी भी महिला की ओर से मनगढ़ंत झूठा आरोप लगाने मात्र से ही पुरुष को सीधा जेल में डाल दिया जाता है और कार्रवाई शुरू हो जाती है। उस समय पुरुष की कोई सुनवाई नहीं होती और न ही उसकी बात पर कोई भरोसा करता है। आज महिला के पक्ष में बने कानून का कई स्थानों पर पुरुष को ब्लैकमेल करने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दहेज और छेड़छाड़ के कई मामले फर्जी होते हैं, पर कानूनन सुनवाई से पहले ही उन पर कानून का डंडा चालू हो जाता है। आरोप लगाने मात्र से आरोपी मानकर उस पर कार्रवाई सरासर अन्याय है, बल्कि दोनों पक्षों की बात निष्पक्ष भाव से सुनकर उस पर जांच होनी चाहिए। उसके बाद कार्रवाई होनी चाहिए। महिला-पुरुष दोनों की सुनवाई समानता के आधार पर होनी चाहिए। महिलाओं की रक्षा के लिए जितने कानून बने हैं, उतने पुरुषों के लिए रक्षात्मक कानून भी नहीं। समाज में भी बिना सोचे समझे बिना छानबीन किए महिला का पक्ष लेकर पुरुष को प्रताडि़त किया जाता है। यहां तक कि भीड़तंत्र उसे मौत के घाट तक उतार देती है और इसलिए आत्महत्या का आंकड़ा निरंतर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि सर्वे के अनुसार महिला की रक्षा के लिए पुरुष ही हमेशा अपने प्राण हथेली पर लेकर महिला अधिकारों की रक्षा करता है। पर महिला को भी पुरुष को स्वाभिमान से जीने के लिए अपना योगदान देना चाहिए। अपनी शत्रुता का बदला लेने के लिए आज महिला को पुरुष के लिए एक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है, जो बेहद शर्मनाक है। पुरुष अधिकार संगठन के वरिष्ठ कार्यकर्ता अभय कुमार भरूट ने बताया कि आज युवा पीढ़ी मानसिक यातना झेलते हुए डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर के शिकार हो रहे हैं। उनको न्याय दिलाने के लिए सबको मिलकर संगठित होते हुए आवाज बुलंद करनी होगी, कानून में समानता के अधिकार के लिए न्यायालय के दरवाजे खटखटाने होंगे। कमल भंडारी, अक्षय जैन भंडारी, सुशील मुरडिया, डॉक्टर जीएस पीपाड़ा, विजय कोठी और टिंकू जैन ने भी विचार व्यक्त किए। कौशल मुनि ने मंगलाचरण और घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए।