कोलकाता

पटाखों में आग लगाना सरस्वती को आग के हवाले करने के समान-मुनि

आतिशबाजी और स्वच्छता अभियान सेमिनार—-महावीर सदन में स्वच्छता अभियान का शंखनाद

कोलकाताNov 02, 2018 / 10:50 pm

Shishir Sharan Rahi

पटाखों में आग लगाना सरस्वती को आग के हवाले करने के समान-मुनि

 
कोलकाता. पटाखों के ऊपर लिखे अक्षर सरस्वती का रूप होते हैं, इसलिए पटाखों में आग लगाना मां सरस्वती को आग के हवाले करने के समान है। आतिशबाजी करने के बाद जो कचरा निकलता है वह चारों तरफ जहां-तहां कचरे के ढेर के रूप में परिवर्तित हो सरकार के स्वच्छता अभियान का जनाजा निकालता है और वह भी शासन-प्रशासन की नाक के नीचे। यह सरेआम खुल्लम-खुल्ला कानून का उल्लंघन और कानून के रखवाले की बात करने वालों के मुंह पर करारा तमाचा है। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने शुक्रवार को महावीर सदन पर आतिशबाजी और स्वच्छता अभियान सेमिनार को संबोधित करते हुए यह बात कही। मुनि ने कहा कि आतिशबाजी की चिंगारी से आगजनी की सैकड़ों घटनाएं, जनहानि और धनहानि हमेशा होती हैं। आतिशबाजी बनाने में जितने कागज का उपयोग होता हे उसके लिए सैकड़ों पेड़ों का कत्ल किया जाता है, जो पर्यावरण की रक्षा के लिए अत्यंत खतरनाक है। जैन संत ने कहा कि शहर के बीच आतिशबाजी की दुकान का होना बारूद के ढ़ेर पर बैठने के समान है। शहर के अंदर भी आतिशबाजी करने पर प्रतिबंध होना चाहिए। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि कितने मासूम बच्चे मौत के शिकार हो जाते हैंं, मानव शरीर के अंग जख्मी हो जाते हैं। लुधियाना का बाजार अग्निकांड पटाखे के धमाके से ही हुआ था। राष्ट्रसंत ने कहा कि देवी-देवता वाले पटाखों का उपयोग जनता को तत्काल बंद कर देना चाहिए। उससे धार्मिक भावना आहत होती है। पटाखे बनने वाले कारखानों में जब आग लगती है तो उसका विकराल रूप सुनने मात्र से रोम-रोम कांप उठता है, उस तबाही और बर्बादी को देख आंखें नहीं, अंतरात्मा रो पड़ती है। अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली शाखा पूर्व भारत की ओर से स्वच्छता अभियान का शंखनाद किया गया। इसमें युवा शाखा अध्यक्ष अभय भरूट आदि कार्यकर्ता, महिला शाखा से अरुणा शाह, लीला कटारिया, मंजू सुराणा, मंजू भंडारी आदि ने भाग लिया। कौशल मुनि ने मंगलाचरण और घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए।
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