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‘धर्म स्थानों पर भक्ति के नाम पर परोसा जा रहा जहर’

locationकोलकाताPublished: Nov 03, 2018 10:11:13 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

मुनि कमलेश ने कहा, जहरीली गैसों के प्रदूषण से भी ज्यादा घातक ध्वनि प्रदूषण—–महावीर सदन में महिला मंडल का दीपावली मिलन समारोह

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‘धर्म स्थानों पर भक्ति के नाम पर परोसा जा रहा जहर’


कोलकाता. देश में आज मंदिर-मस्जिद आदि धर्म स्थानों पर भक्ति के नाम पर जहर परोसा जा रहा है, जिससे अधर्म की खेती हो रही है। यह असाध्य रोग के समान है। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने शनिवार को महावीर सदन में महिला मंडल के दीपावली मिलन समारोह को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रभु मिलन के लिए भक्ति अमृत के समान है, जो आत्मा और परमात्मा का आपस में मिलान कराकर परमानंद की अनुभूति कराती है। जब वही भक्ति दिखावा का रूप लेकर शोर के रूप में, प्रदर्शन रूप में कानफोड़ू कर्कश आवाज के रूप में परिवर्तित हो जाती है तो वही भक्ति जहर का काम करती है। मुनि ने कहा कि भक्ति और धर्म की ओट में ध्वनि प्रदूषण अभिशाप है, क्योंकि इससे किसी की शांति भंग होती है तो धर्म भी अधर्म में परिवर्तित हो जाता है। ध्वनि और शोर प्रदूषण वर्तमान की ज्वलंत समस्या है, जो दुर्भाग्य है। यह धर्म के नाम पर विकराल रूप लेती जा रही है। उन्होंने कहा कि भक्ति का असली स्वरूप मौन के रूप में परिवर्तित हो जाना और आगे चलकर योग के माध्यम से आत्मा में समा जाती है। जैन संत ने बताया कि आतिशबाजी से जो ध्वनि प्रदूषण पैदा होता है उसके धमाके से पक्षियों का गर्भपात हो जाता है। इंसान बहरेपन का शिकार हो सकता है और ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक वालों के लिए जानलेवा साबित होता है। अनिद्रा उसे घेर लेती है। धार्मिक पर्व-त्योहारों के दौरान डीजे आदि का प्रयोग ध्वनि नियंत्रण बोर्ड के अनुरूप नहीं है। इंसान शोर-प्रदूषण से चिड़चिड़ापन, अशांति, मानसिक रोग का शिकार बनता है। उन्होंने कहा कि जहरीली गैसों के प्रदूषण से भी ज्यादा घातक ध्वनि प्रदूषण है। यह आत्मा, शरीर, पर्यावरण के लिए खतरनाक है। विचार में अशांति आने से ध्यान साधना के लिए जहर से ज्यादा खतरनाक है। मुनि ने कहा कि महापुरुषों ने मौन को सर्वोत्तम साधन बताया है। आत्म साधना के लिए परमात्मा मिलन में ऑक्सीजन से महत्वपूर्ण है। भक्ति में विवेक और संयम है तो वरदान बनेगा और इसके अभाव में वरदान भी अभिशाप बन जाएगा।ेे महिला मंडल की ओर से स्वच्छता अभियान, पर्यावरण, बेटी बचाओ, नशामुक्ति आदि पर लघु नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसमें अनु कांकरिया, विमला भंडारी, चांद भंडारी, मोनिका कोठारी, शालिनी गांग, संगीता कांकरिया आदि ने भाग लिया। महिला मंडल की ओर से प्रश्न मंच का आयोजन किया गया। संचालन विमला भंडारी ने किया। विजेताओं को नवाजा गया और सभी ने आतिशबाजी न करने का संकल्प लिया। कौशल मुनि ने मंगलाचरण और घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए। संघ की ओर से गौतम प्रसादी का आयोजन भी हुआ।
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