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तोडफ़ोड़ और हिंसा को अंजाम देने वाले देशद्रोही से कम नहीं—-मुनि कमलेश

locationकोलकाताPublished: Sep 28, 2018 07:07:11 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

मुनि कमलेश की महावीर सदन में धर्मसभा–सरकारी संपत्ति जलाने वाले आखिर देशप्रेमी कैसे?

कोलकाता. तोडफ़ोड़ और हिंसा लोकतंत्र पर कलंक है और इसे अंजाम देने वाले देशद्रोही से कम नहीं। सरकारी संपत्ति को जलाने वाले को आखिर देशप्रेमी कैसे कहा जा सकता? लोकतंत्र के संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को मौलिक अधिकार मिला है और उसे वंचित करने का प्रयास करना लोकतंत्र का गला घोंटने के समान है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने शुक्रवार को महावीर सदन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह बात कही। मुनि ने कहा कि स्वार्थी नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए आए दिन हड़ताल, बंद, रोडजाम जैसे अवैधानिक कार्यों को अंजाम देते हैं। इससे सामान्य जनता को अपार कष्टों का सामना करना पड़ता है, जिसके बारे में सोचने मात्र से रोम कांप जाते हैं। दुर्भाग्य है लोकतंत्र की दुहाई देने वाले संविधान के रखवाले देश का नेतृत्व ही दिशाहीन हो जनता को त्राहि-त्राहि करने को मजबूर करते हैं तथा इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता कि प्रशासन भी उनके सामने पंगु बनकर असहाय नजर आता है। उन्होंने कहा कि जाम में एंबुलेंस में बीमार आदमी फंसकर काल के ग्रास में समा जाता है। बंद के दौरान जो श्रमिक पापी पेट की खातिर सुबह-शाम कमा कर खाते हैं उनके परिवारों का क्या हाल होगा? किसी की गाड़ी छूट जाती है, तो किसी व्यवसायी के व्यापार-धंधे चौपट। देश का अरबों का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रकट करने का सभी को अधिकार है, लेकिन उससे किसी के जीवन में व्यवधान पैदा नहीं होना चाहिए, किसी पर कोई संकट नहीं आना चाहिए। यदि किसी सरकार और पार्टी ने गलत कदम उठाया है तो उसके लिए मुख्यमंत्री का घेराव करें, मजबूर करें, सत्याग्रह करें, अनशन करें क्योंकि कानून बदलने की ताकत उनके हाथों में है सामान्य जनता के हाथ में कुछ नहीं। उनकी सजा सामान्य जनता को क्यों? देश का नेतृत्व सरकार या प्रशासन करती है गलत नीतियां बनाते हैं उनकी सरकार न चलने दे प्रशासनिक अधिकारियों को पालन के लिए मजबूर करें उनके गलत कदम का खामियाजा सामान्य जनता क्यों भोगे ? बच्चों की पढ़ाई बर्बाद होती है, दहशत-भय से जनता त्रस्त होती है। प्रशासन का कर्तव्य है कानून किसी को हाथ में न लेने दे, राजनैतिक दबाव से मुक्त हो निर्भीक बन सामान्य जनता के अधिकारों की रक्षा करे। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को स्वयं संज्ञान लेते हुए सरकारों को कड़े निर्देश देने चाहिए। सामान्य जनता को भी ऐसे विघ्नकारी ताकतों के नापाक इरादों को विफल करने के लिए संगठित होकर आगे आना होगा। यह सभी के सामूहिक प्रयास से ही संभव है। कौशल मुनि ने मंगलाचरण और घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए। जैन कॉन्फ्रेन्स के वरिष्ठ कार्यकर्ता मूलचंद नाहर, अहमदाबाद संघ के अध्यक्ष शांतिलाल नाहर का अभिनंदन किया गया।
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