‘आतिशबाजी में आग लगाना, नोटों में आग लगाने के समान’
कोलकाताPublished: Nov 01, 2018 10:42:02 pm
महावीर सदन में पटाखा हटाओ देश बचाओ समारोह
‘आतिशबाजी में आग लगाना, नोटों में आग लगाने के समान’
कोलकाता. जिस राष्ट्र में कर्ज से परेशान अन्नदाता (किसान) आत्महत्या करता हो, वहां आतिशबाजी करना लक्ष्मी का अपमान करने के समान है। खून पसीने के कठोर परिश्रम से कमाए हजारों के नोटों में कोई भी अपने हाथ से आग लगा दे उससे बड़ा महामूर्ख और कौन होगा? इसी प्रकार आतिशबाजी में आग लगाना, नोटों में आग लगाने के समान है और वह भी भारत जैसे सामान्य देश में अरबों की आतिशबाजी होना दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने गुरुवार को महावीर सदन में पटाखा हटाओ देश बचाओ समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। मुनि ने कहा कि एक तरफ जहां गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले अभावग्रस्त लोग भूखमरी से दम तोड़ रहे हैं। शिक्षा और चिकित्सा के अभाव में अभावग्रस्त लोग भटक रहे हैं ऐसे में उनके सामने आतिशबाजी, फिजूलखर्ची करके पैसे की बर्बादी का प्रदर्शन शर्मनाक है। पैसे वालों के ऐसे करने से अभावग्रस्त लोगों का खून खौल उठता है और उसी से असंतोष और नफरत के भाव की चिंगारी पैदा होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे कारनामों से ही गरीब जनता की आंखों में किरकिरी बन कर चंद पैसे वाले खटकते हैं। इस के परिणामस्वरूप नक्सलवाद और आतंकवाद पैदा होता है। इसका दोषी कौन। यह सवाल अपनी अंतरात्मा से पूछना चाहिए। जैन संत ने कहा कि अगर वही पैसा सामान्य परिवारों को मिठाई, कपड़े और अन्य सामग्री बांटकर उनके चेहरे पर खुशहाली के भावना लाया जाए तो उससे बड़ी और कोई दिवाली नहीं तथा उससे बड़ा कोई भी धर्म नहीं हो सकता। इससे परस्पर आत्मीयता भावों का निर्माण होगा, उस स्थान पर परमात्मा और भगवान का निवास होगा। राष्ट्रसंत ने कहा कि अभावग्रस्त लोगों के बीच उन्हें अनदेखा करके संवेदनहीन बन धन की बर्बादी किसी धार्मिक व्यक्ति के लक्षण नहीं हो सकते। अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कान्फ्रेंस दिल्ली शाखा पूर्व भारत की महिला-युवा शाखा ने आतिशबाजी न करने का संकल्प लिया। इसके साथ ही जनता में जन जागरण अभियान प्रारंभ किया गया।