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‘मानवता का आधार, धर्मों का प्राण है मैत्री’

locationकोलकाताPublished: Sep 30, 2018 10:17:06 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

-महावीर सदन में मैत्री दिवस पर मुनि कमलेश की धर्मसभा

kolkata

‘मानवता का आधार, धर्मों का प्राण है मैत्री’


कोलकाता. मैत्री मानवता का आधार, प्रकृति का श्रृंगार और संपूर्ण विश्व के सभी धर्मों का मूल प्राण भी यही है। मैत्री धर्म का प्रवेश द्वार और मोक्ष है, मैत्री के बिना अहिंसा का पालन तीनों काल में नहीं हो सकता। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने रविवार को महावीर सदन में मैत्री दिवस पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि निस्वार्थ मैत्री ही आत्मकल्याण में सहयोगी हो सकती है। नफरत करने वाले के साथ भी जो मैत्री का हाथ बढ़ाता है वह महापुरुष कहलाता है और विश्व वंदनीय बनता है। उन्होंने कहा कि जैसे खून का रंग का कपड़ा खून से साफ नहीं होता, वैसे ही नफरत को नफरत से कभी समाप्त नहीं किया जा सकता। मैत्री के माध्यम से ही नफरत को जीता जा सकता है। मुनि ने कहा कि नफरत की चिंगारी परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक है जो इंसान को शैतान और हैवान बना देती है। धर्म के माध्यम से दिलों में नफरत का निर्माण होता है तो वह अधर्म और पाप है। मैत्री करने वालों के साथ भी जो नफरत का व्यवहार करता है वह अधर्म और नीच है। गरीब-अमीर, ऊंच-नीच छोटे बड़े के भावों से ऊपर उठ कर समान भाव से प्राणी मात्र के साथ जो मैत्री का व्यवहार करता है उसके कदम-कदम पर तीर्थ है और वह सांस-सांस में, धर्म में बस जाता है। मैत्री ही पूजा, भगवान और स्वाध्याय है। महासती दर्शना बाई ने कहा कि मैत्री के भाव में की गई साधना आराधना भी आत्म कल्याण में सहयोगी नहीं बन सकती। नए कर्मों से आत्मा भारी हो जाती है। पूर्व भारत गुजराती स्थानकवासी जैन महासंघ के अध्यक्ष अश्विन कुमार ने कहा कि सबके दिलों में मैत्री का निवास हो तो विश्व शांति स्वत: आ जाएगी। बड़ा बाजार गुजराती जैन स्थानक के प्रमुख विपिन भाई जैन ने कहा कि मैत्री दूसरे के मन की मलिनता को धो देती है। महावीर सदन के मंत्री जीएस पीपाड़ा, कमल भंडारी, अभय भरूट ने अहमदाबाद से आए पारसमल बोहरा, चौथमल जैन का स्वागत किया। गुणमाला नेमीचंद लोड़ा ने विचार व्यक्त किए। कौशल मुनि ने मंगलाचरण, घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए। मंजू प्रेम भंडारी, मंजू सुराना, लीला कटारिया, मंजू डागा ने गीत प्रस्तुत किया।
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