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निगम के कार्यक्रमों में स्थानीय विधायकों और तृणमूल नेताओं को आमंत्रित करना हुआ अनिवार्य

locationकोलकाताPublished: Dec 14, 2018 03:10:36 pm

Submitted by:

Jyoti Dubey

– कोलकाता नगर निगम के विभिन्न बोरो कार्यालयों के तहत होने वाले कार्यक्रमों में स्थानीय विधायकों व नेताओं को आमंत्रित करना अनिवार्य हो गया है। यही नहीं, निमंत्रण कार्ड पर बोरो अंतर्गत वार्डों में रहने वाले सभी विधायकों, मंत्रियों और नेताओं के नाम छापने की हिदायत भी दी गई है।

Kolkata, West Bengal, India

निगम के कार्यक्रमों में स्थानीय विधायकों और तृणमूल नेताओं को आमंत्रित करना हुआ अनिवार्य


कोलकाता. कोलकाता नगर निगम के विभिन्न बोरो कार्यालयों के तहत होने वाले कार्यक्रमों में स्थानीय विधायकों व नेताओं को आमंत्रित करना अनिवार्य हो गया है। यही नहीं, निमंत्रण कार्ड पर बोरो अंतर्गत वार्डों में रहने वाले सभी विधायकों, मंत्रियों और नेताओं के नाम छापने की हिदायत भी दी गई है। मेयर फिरहाद हकीम ने बुधवार को यह फरमान जारी किया। यह माना जा रहा है कि ऐसा करने से तृणमूल कांग्रेस के नेताओं में विभिन्न कारणों से उपजे विवाद और मनमुटाव कम होंगे। यह पार्टी हित में भी बेहतर होगा। सूत्रों के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव से पूर्व पार्टी नेताओं में उपजे विवाद को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि नेताओं के विवाद से पार्टी को नुकसान होगा। इससे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी खासा चिंतित हैं। पार्टी प्रमुख को आशंका है कि दल के समर्थकों में हो रहे विवाद और संघर्ष से 2019 में तृणमूल कांग्रेस के लिए खतरा पैदा हो सकता है। इसीलिए उन्होंने फिरहाद हकीम समेत अपने सभी खासम-खास नेताओं को निर्देश दिया है कि वे अभी से पार्टी के बिखरते एकता को फिर से जोडऩे में जुट जाएं। अन्यथा पार्टी को इसका खामियाजा आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद ही फिरहाद ने यह कदम उठाया है। ज्ञात हो कि इससे पूर्व होने वाले कार्यकर्मों के निमंत्रण कार्डों पर केवल कार्यक्रम का नाम, मुख्य अतिथियों, स्थानीय पार्षद व बोरो चेयरमैन के नाम लिखे जाते थे। मगर अब निमंत्रण कार्डों पर निर्देश के अनुसार सभी का नाम रखना अनिवार्य हो गया है। हालांकि उक्त नेताओं, मंत्रियों व विधायकों का कार्यक्रम में शामिल होना न होना यह उनका निजी मामला होगा। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में विभिन्न जिलों के साथ-साथ गुटीय संघर्ष का प्रभाव कोलकाता के नेताओं और मंत्रियों पर भी पड़ा है। इसका ताजा उदाहरण फिरहाद के मेयर बनने से पूर्व तृणमूल कांग्रेस के पार्षदों की हुई बैठक में देखने को मिला। जहां ज्यादातर पार्षदों के उपस्थित रहते हुए भी पूर्व मेयर व पार्षद शोभन चटर्जी उक्त महत्तवपूर्ण बैठक से गायब रहे। बैठक के बाद उन्होंने बाताया था कि उन्हें पार्टी की ओर से आयोजित होने वाली इस बैठक के बारे में कोई सूचना नहीं मिली थी। गौरतलब है कि ऐसी परिस्थिति में उनके पार्टी छोडऩे की सुगबुगाहट भी राजनैतिक दलों में शुरू हो गई थी। हालांकि मतदान के दिन केएमसी पहुंचकर उन्होंने विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं का मुंह बंद कर दिया था।

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