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श्री श्याम मंदिर आलमबाजार में मनाया गया नंदोत्सव

locationकोलकाताPublished: Sep 07, 2018 08:10:04 pm

Submitted by:

Vanita Jharkhandi

मंदिर प्रांगण में कृष्ण जन्माष्टमी से लेकर नंदोत्सव

kolkata west bengal

श्री श्याम मंदिर आलमबाजार में मनाया गया नंदोत्सव

कोलकाता . श्री श्याम मंदिर आलमबाजार में गुरुवार को नंदोत्सव हर्षोल्लाष के साथ मनाया गया। मंदिर प्रांगण में कृष्ण जन्माष्टमी से लेकर नंदोत्सव तक सजाए गए मनोहारी झूलन श्रृंगार का दर्शन करने पूरे सप्ताह भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आवागमन बना रहा। मंदिर में विराजित खाटूवाले श्याम प्रभु के तेजस्वी शीश का पुष्प से भव्य श्रृंगार किया गया। साथ सायंकाल संध्या आरती के बाद श्रीगणेश वंदना के साथ सुमधुर भजनों की अमृतवर्ष आरम्भ हुई। मंदिर के प्रमुख गायक राजा अग्रवाल, सीमा – ऋतू शर्मा, सरोज शर्मा ने श्याम दरबार में भजनों की हाजरी लगाई। कार्यक्रम की सफलता में बसंत कुमार अग्रवाल, विश्वनाथ दारुका, सांवरमल अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, सुशील शाह, मुकेश अग्रवाल, श्याम अग्रवाल, कैलाश केडिया, मनोज बजाज, राजेश अग्रवाल, गोपाल जालान, राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, पवन गुप्ता, जीतेन्द्र राय, प्रकाश अग्रवाल, आत्माराम गाडिय़ा, विजय साव, सुखेन चक्रबर्ती, राजा भावशिंका, राहुल अग्रवाल, बालमुकुंद अग्रवाल, जीतेन्द्र आर्य, अनूप लढाणिया एवं अन्य सभी का सराहनीय योगदान रहा। मंदिर के प्रबंध न्यासी गोविन्द मुरारी अग्रवाल ने बताया की शेष दिवसीय द्वादशी को आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर में सजाए गए नयनाभिराम झूलन श्रृंगार दर्शन का लाभ मिलेगा।

 

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आलसी प्रमादी अविनीत के लक्षण हैं : संत मुनि कमलेश

कोलकाता . स्वाति नक्षत्र की बूंद आग में गिरेगी नष्ट हो जाएगी, समुद्र में गिरेगी खारा पानी बनेगी, सांप के मुंह में गिरेगी जहर बनेगी और वही शीप के मुंह में गिरे तो मोती बनती है। वस्तु के साथ पात्र का भी अपने में महत्वपूर्ण स्थान है। महापुरुषों की पवित्र वाणी रूपी स्वाति नक्षत्र की बूंद के लिए पात्र बनना हमें जरूरी है। यदि हमारे में अहंकार ईष्र्या, क्रोध, लोभ की ज्वालाएं जल रही हैं। वह पवित्र ज्ञान भी हमारे लिए विकास के बजाय विनाश का काम करता है। मुनि कमलेश ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि विनय और सरलता आत्मसात कर धर्म का पात्र बना जा सकता है। इसके बिना खड़ा-खड़ा सूख जाए तो भी तीन काल में धर्म में प्रवेश नहीं हो सकता है। विनय से सद्बुद्धि का विकास होता है और अहंकार से दुर्बुद्धि का पनपना आग के साथ खेलने के समान हैं। राष्ट्रसंत ने कहा कि विश्व के सभी धर्म ग्रंथ और पंथ ने विनय को ही की धर्म का प्रवेश द्वार बताया। इसी को अपनाकर वह महापुरुष बने। अविनीत को ज्ञान देना जहरीले काले नाग को दूध पिलाने के समान है। आलसी प्रमादी अविनीत के लक्षण हैं मन मंदिर को करुणा वात्सल्य और सद्भाव का पवित्र स्थान बना लेंगे तो परमात्मा को ढूंढना नहीं पड़ेगा वह स्वयं ढूंढता हुआ आपके पास आएगा। कौशल मुनि ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। तपस्वी घनश्याम मुनि के 31 वां उपवास है। अखंड महामंत्र का जाप निरंतर चालू है। जितेंद्र मेहता, केवल चंद भू रट, राकेश मेहता, सुभाष वैद्य आदि ने सेवा का लाभ लिया। सी जगदीश जैन की ओर से प्रभावना वितरित की गई।

 

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