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2020 तक दोगुने होंगे देश में प्रोस्टेट कैंसर के मामले

locationकोलकाताPublished: Nov 27, 2018 09:06:00 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

नारायणा सुपरस्पेशियलटी हॉस्पिटल, हावड़ा का जागरूकता अभियान—नो-शेव नवंबर नाम से शुरू किया जागरूकता अभियान

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2020 तक दोगुने होंगे देश में प्रोस्टेट कैंसर के मामले

कोलकाता. कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। समय पर अगर पता न चले और इलाज न हो तो यह इंसान को मौत के मुंह में ले जा सकता है। 2020 तक देश में प्रोस्टेट कैंसर के मामले दोगुने हो जाएंगे। आज की भागमभाग पाश्चात्य जीवन शैली, शारीरिक काम से परहेज और व्यायाम की कमी सहित सेहत के प्रति लापरवाह रवैए के कारण इसके मामले तेजी से बढ़े रहे हैं। यदि प्रोस्टेट कैंसर का समय रहते जांच हो जाए, तो इसके इलाज में ज्यादा सफलता मिलने की संभावना होती है। नारायणा सुपरस्पेशियलटी हॉस्पिटल, हावड़ा में इसकी चिकित्सा की बेहतरीन व्यवस्था है। नारायणा सुपरस्पेश्यिलटी हॉस्पिटल, हावड़ा की ओर से प्रोस्टेट कैंसर के संबंध में जागरूकता अभियान के तहत शुरू कार्यक्रम नो-सेव नवंबर के तहत मंगलवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार सम्मेलन के दौरान चिकित्सकों ने यह खुलासा किया। इस मौके पर कन्सलटेंट यूरोलोजी और यूरो-ऑन्कोलोजी डॉ. अभय कुमार, चीफ ऑफ रेडियोथेरेपी डॉ. सुमन मल्लिक, कन्सलटेंट रैडिएशन आन्कोलोजी डॉ. सयान दास और रेडियो जॉकी अरविन्द मंचासीन थे। प्रोस्टेट कैंसर के संबंध में जागरूकता अभियान को अनोखे तरीके नो-शेव नवंबर नाम से शुरू किया गया है। इसका मकसद शेविंग पर होने वाले पैसे को बचाकर उसे कैंसर पीडि़तों की सहायतार्थ दान करना है। डॉ. अभय ने कहा कि 80 फीसदी कैंसर को सर्जरी या रेडिएशन से ठीक किया जा सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2020 तक प्रोस्टेट कैंसर के मामले दोगुने हो जाएंगे। सबसे ज्यादा मामले 60 साल की आयु में होते हैं। डॉ. सयान दास ने कहा कि लापरवाह जीवन शैली और मेडिटेशन, जंकफूड का अधिक प्रयोग, शारीरिक कामों से दूरी के चलते इस रोग के होने की संभावना ज्यादा होती है।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर?

प्रोस्टेट ग्रंथि केवल पुरूषों में पाई जाती है, जो प्रजनन प्रणाली का एक हिस्सा है। धीमा जहर के नाम से जाना जाने वाला प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट की कोशिकाओं में बनने वाला एक प्रकार का कैंसर है। पौरूष ग्रंथि में कई प्राकर की कोशिकाएं पाई जाती है। सभी प्रोस्टेट कैंसर, ग्रंथि कोशिकाओं से विकसित है। अन्य प्रकार के प्रोस्टेट कैंसर कम पाए जाते हैं। प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर बहुत धीमी गति से बढ़ता है और ज्यादातर रोगियों में तब तक लक्षण नहीं दिखाई देता जब तक कैसर गंभीर रूप धारण कर न लें। प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों में से अधिकांश की मौत कई कारणों से होती है। कई मरीजों को मालूम ही नहीं होता कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर हैं। एक बार प्रोस्टेट कैंसर विकसित हो गया तो यह बाहर की तरफ फैलने लगता है और खतरनाक हो जाता है। यदि प्रोस्टेट कैंसर का समय रहते जांच हो जाए तो इसके इलाज में ज्यादा सफलता मिलने की संभावना होती है।
10 प्रमुख कैंसरों में से एक

आंकड़ों का हवाला देते हुए चिकित्सकों ने कहा कि प्रोस्टेट कैंसर भारत में होने वाले 10 प्रमुख कैंसरों में से एक है। ग्लोबोकोन की रिपोर्ट के अनुसार 5 साल तक जीवित रहने की दर 59 साल की आयु तक ५५ फीसदी, ६० से ६९ साल की उम्र तक 74 प्रतिशत होने की आशंका ज्यादा रहती है। प्रोस्टेट कैंसर राजधानी नई दिल्ली, कोलकाता, पुणे, तिरूवनंपुरम, बेंगलुरू और मुबंई में होने वाले कैसरों में तीसरा और भारत की बाकी जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्रीज में 10 प्रमुख कैंसरों में शामिल है। भारत के सभी क्षेत्र इस कैंसर से प्रभावित हैं और लगातार तीव्र गति से इसमें बढ़ोतरी हो रही है। प्रोस्टेट कैंसर के मुख्य लक्षणों में पेशाब करने में परेशानी शामिल हैं, लेकिन ज्यादातर में कोई लक्षण दिखाई नहीं देता।

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