सूत्रों ने बताया कि Election Commission ने तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और भाकपा को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता के मसले पर अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया है। निर्वाचन आयोग ने पार्टियों को अलग-अलग अपना पक्ष रखने का मौका दिया है। हालांकि आयोग ने इस संदर्भ में कोई निश्चित तारीख तय नहीं की है। इससे पहले आयोग ने तीनों पार्टियों को नोटिस भेजकर पूछा था कि क्यों न तीनों पार्टियों की राष्ट्रीय मान्यता खत्म कर दी जाए? कारण यह कि हाल में सम्पन्न लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद तीनों पार्टियों ने Status of National Party होने के लिए आवश्यक मापदंड को पूरा नहीं किया है। तीनों पार्टियों ने आयोग से ऐसा नहीं करने की गुहार लगाई थी। निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया कि तीनों पार्टियों के लिए अलग-अलग से निर्वाचन आयोग में सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान तीनों पार्टियां अपना पक्ष आयोग के समक्ष रखेगी। पार्टियों की सुनने के बाद आयोग अंतिम फैसला करेगा।
आयोग के नोटिस पर पार्टियों की दलील:
तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के नोटिस के जवाब में कहा कि पार्टी को 2014 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था इसलिए 2024 तक पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा खत्म न हो और अगले लोकसभा चुनाव के बाद ही चुनाव आयोग आकलन करे। भाकपा ने आयोग से कहा है कि वह देश की सबसे पुरानी पार्टी है और पार्टी का विस्तार देशभर में है इसलिए सिर्फ चुनाव नतीजों के आधार पर मान्यता खत्म न हो, जबकि एनसीपी ने आयोग से मांग की है कि आयोग महाराष्ट्र और बाकी राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता पर फैसला करे। महाराष्ट्र में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होना है और एनसीपी राज्य में एक प्रमुख पार्टी है।
राष्ट्रीय पार्टी होने का यह है मापदंड:
राष्ट्रीय पार्टी होने के लिए किसी पार्टी को तीन जरूरी शर्तों में से एक को पूरा करना होता है। पहली शर्त-किसी पार्टी को देश के 4 अलग राज्यों में 6 फीसदी वोट प्राप्त हो और 4 लोकसभा की सीट मिले। दूसरी शर्त-किसी पार्टी को 3 राज्यों से कम से कम 11 लोकसभा की सीट प्राप्त हो। तीसरी शर्त में पार्टी को अगर देश के 4 राज्य में राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा मिलता है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलेगा।
आयोग के नोटिस पर पार्टियों की दलील:
तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के नोटिस के जवाब में कहा कि पार्टी को 2014 में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था इसलिए 2024 तक पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा खत्म न हो और अगले लोकसभा चुनाव के बाद ही चुनाव आयोग आकलन करे। भाकपा ने आयोग से कहा है कि वह देश की सबसे पुरानी पार्टी है और पार्टी का विस्तार देशभर में है इसलिए सिर्फ चुनाव नतीजों के आधार पर मान्यता खत्म न हो, जबकि एनसीपी ने आयोग से मांग की है कि आयोग महाराष्ट्र और बाकी राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता पर फैसला करे। महाराष्ट्र में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होना है और एनसीपी राज्य में एक प्रमुख पार्टी है।
राष्ट्रीय पार्टी होने का यह है मापदंड:
राष्ट्रीय पार्टी होने के लिए किसी पार्टी को तीन जरूरी शर्तों में से एक को पूरा करना होता है। पहली शर्त-किसी पार्टी को देश के 4 अलग राज्यों में 6 फीसदी वोट प्राप्त हो और 4 लोकसभा की सीट मिले। दूसरी शर्त-किसी पार्टी को 3 राज्यों से कम से कम 11 लोकसभा की सीट प्राप्त हो। तीसरी शर्त में पार्टी को अगर देश के 4 राज्य में राज्यस्तरीय पार्टी का दर्जा मिलता है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलेगा।